रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
2007 से हर साल भारत प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस की याद में 29 जून को सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाता है।
18वां सांख्यिकी दिवस: पृष्ठभूमि, विषय और महालनोबिस का योगदान
उनका जन्म इसी दिन 1893 में कोलकाता (तब कलकत्ता), पश्चिम बंगाल में हुआ था। यह दिन सांख्यिकी के क्षेत्र में प्रोफेसर महालनोबिस के योगदान का सम्मान करने और सामाजिक-आर्थिक योजना और नीति निर्माण में सांख्यिकी की भूमिका और महत्व के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है।
हालाँकि यह याद रखना होगा कि विश्व सांख्यिकी दिवस पूरे विश्व में 20 अक्टूबर को मनाया जाता है।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस के बारे में
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कोलकाता में हुआ था। वह प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता के छात्र थे और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन में भौतिकी और गणित का अध्ययन किया था।
कैम्ब्रिज में अध्ययन के दौरान उनकी सांख्यिकी में रुचि विकसित हुई।
भारत आने के बाद उन्होंने 17 दिसंबर 1931 को कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना की।
उन्होंने सांख्यिकी में कई नवीन तकनीकों को विकसित किया जिनका अर्थशास्त्र में व्यापक अनुप्रयोग है।
महालनोबिस ने डेटा संग्रह के लिए राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके द्वारा एकत्र आंकड़े का उपयोग सामाजिक आर्थिक योजना में किया जाता है।
उन्होंने भारत में सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय के लिए 1950 में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की भी स्थापना की।
वे 1955 से 1967 तक योजना आयोग के सदस्य रहे।
भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) जो आर्थिक विकास के भारी औद्योगीकरण मॉडल पर आधारित थी, प्रोफेसर महालनोबिस द्वारा तैयार गणितीय मॉडल पर आधारित थी।
महालनोबिस को 1947 से 1951 तक सैम्पलिंग पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के अध्यक्ष होने का गौरव भी प्राप्त है।
उन्हें 1949 में भारत सरकार के मानद सांख्यिकीय सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
प्रोफेसर महालनोबिस के अपार योगदान को स्वीकार करते हुए भारत सरकार ने 1968 में भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण प्रदान किया।
सांख्यिकी में उनके योगदान के लिए प्रोफेसर महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का जनक भी कहा जाता है।18वें सांख्यिकी दिवस 2024 का विषय
हर साल सांख्यिकी दिवस एक ऐसे विषय के साथ मनाया जाता है जिसकी समकालीन प्रासंगिकता हो।
18वें सांख्यिकी दिवस 2024 का विषय "निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग" है।
भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का इतिहास
भारत में ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ का इतिहास वर्ष 2007 से प्रारम्भ हुआ था। भारत में इसकी उत्पत्ति और विकास का कालक्रम नीचे समझाया गया है:
5 जून 2007: प्रोफेसर महालनोबिस द्वारा किए गए अपार योगदान के सम्मान में, भारत सरकार ने 5 जून, 2007 को उनकी जयंती 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में नामित किया।
29 जून 2007: पहला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून, 2007 को मनाया गया।
वर्तमान: 2007 में अपनी स्थापना के बाद से, भारत में राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस प्रत्येक वर्ष उसी दिन मनाया जाता है।