नोएडा में जीएसटी धोखाधड़ी का मामला : गोल्डी ने कई ठिकानों की दी जानकारी, सरकार का करोड़ों का नुकसान -

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नोएडा : नोएडा में फर्जी दस्तावेज के आधार पर 15 हजार करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में कुणाल मेहता की दो दिन की पुलिस रिमांड खत्म हो गई है। पुलिस में आरोपी कुणाल को जेल भेज दिया है। कुणाल की रिमांड पर पुलिस को कई बड़े सबूत हाथ लगे हैं। इसका खुलासा जीएसटी फर्जीवाड़ा में मुख्य आरोपी कुणाल मेहता ने पुलिस कस्टडी में किया है। यह मामला कोतवाली सेक्टर 20 का है।

48 घंटे की रिमांड

पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि रिमांड के दौरान उसकी निशानदेही पर पुलिस को जीएसटी फर्जीवाड़े से संबंधित कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। इस दौरान 25 हजार के इनामी हिसार निवासी कुणाल मेहता उर्फ गोल्डी ने कई ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी है। उसे दिल्ली समेत अन्य ठिकानों पर ले भी जाया गया। फर्जीवाड़े में शामिल कई अन्य आरोपियों के बारे में भी पुलिस को कुणाल से जानकारी मिली है। पुलिस ने आरोपी से पूछताछ कर धोखाधड़ी के नेटवर्क से जुड़े लोगों के बारे में पूरी जानकारी 48 घंटे की रिमांड के दौरान एकत्र की।

25 हजार रुपये का घोषित था इनाम

अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी फर्जीवाड़े में फरार चल रहे कुनाल मेहता पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस की घेराबंदी बढ़ती देख उसने चार मार्च को सूरजपुर स्थित अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसकी जानकारी होने पर मामले की जांच कर रही नोएडा पुलिस ने अदालत से उसकी पुलिस रिमांड मांगी थी। अदालत ने उसे 48 घंटे के लिए पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए। जिसके बाद गुरुवार को पुलिस उसे रिमांड पर ले आई। कुणाल हिसार में सेकेंड हैंड कारों की खरीद और ब्रिकी का कारोबार करता है। करीब एक साल पहले वह अपने ही गांव के पास के रहने वाले एक युवक के संपर्क में आया।

अबतक 30 आरोपियों को गिरफ्तार

सेक्टर-20 थाना प्रभारी निरीक्षक डीपी शुक्ला ने बताया कि वह जीएसटी फर्जीवाड़े के गिरोह में शामिल होकर फर्जी फर्म खोलकर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचा रहा था। कुणाल उसके इशारे पर रुपये और दस्तावेजों को ठिकानों तक पहुंचाने का काम कैरियर के रूप में करता था। वह कई बार गिरोह के सदस्यों के कहने पर नोएडा आया था। कुणाल और उसके साथी देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड का डाटा हासिल करके उसके आधार पर फर्जी कंपनी खोलते थे। इसके बाद जीएसटी नंबर लेकर फर्जी बिल बनाकर जीएसटी रिफंड प्राप्त कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाते थे। जांच मे यह पता चला है कि जालसाज फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच देते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद किया जा रहा था। इस फर्जीवाड़े में अबतक 30 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 12 अन्य की तलाश में पुलिस की टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं।

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