जयपुर में जैन आचार्य विद्यासागर की गुणानुवाद सभा:विधायक समेत कई नेता शामिल हुए, भट्‍टारक जी की नसियां में हुई विनयांजलि

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

जयपुर

जैन आचार्य विद्यासागर महाराज का शनिवार को देवलोक गमन हो गया। इसे लेकर जैन समाज के साथ पूरे देश में शोक की लहर है। देश-विदेश में आचार्य को मानने वाले लोगों की ओर से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जा रही है। जयपुर में भी सकल जैन समाज ने मंगलवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्‍टारक जी की नसियां में गुणानुवाद सभा रखी।

भट्टारक जी की नसिया में आचार्य विद्यासागर महाराज के देवलोक गमन पर श्रद्धांजलि सभा हुई। सभा में राजस्थान के प्रमुख जैन संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित हुए। सैकड़ों की संख्या में जैन समाज और आचार्य को मानने वाले महिलाएं और पुरुष शामिल हुए।

आचार्य विद्यासागर की विनयांजलि और गुणानुवाद सभा में कई राजनेता भी शामिल हुए। सिविल लाइंस से विधायक गोपाल शर्मा, नगर निगम ग्रेटर डिप्टी मेयर पुनीत कर्णावट मौजूद रहे। राजस्थान जैन सभा के अध्यक्ष सुभाष चंद्र जैन, मंत्री मनीष वैद्य, प्रदीप जैन लाला, महेश काला भी पहुंचे।

जैन समाज की संस्थाओं से जुड़े लोग विनयांजलि और गुणानुवाद सभा में शामिल हुए।

जैन समाज की संस्थाओं से जुड़े लोग विनयांजलि और गुणानुवाद सभा में शामिल हुए।

जैन समाज के कई संस्था से जुड़े लोग शामिल हुए

इस सभा में जैन समाज के कई संस्था से जुड़े लोग शामिल हुए। इनमें श्री दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान, संत श्री सुधासागर आवासीय कन्या महाविद्यालय सांगानेर, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर संघी जी सांगानेर, श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर जी, जयपुर जिले की दिगम्बर जैन संस्थाओं की प्रतिनिधि संस्था दिगम्बर जैन समाज (महासंघ) जयपुर, राजस्थान जैन सभा और श्री महावीर दिगम्बर जैन शिक्षा परिषद के बैनर तले होने वाली इस सभा में काफी संख्या में समाज के बंधु भाग लेंगे और अपने विचारों से विद्वान और वक्ता आचार्य श्री को विनयांजलि दी।

जैन समाज और आचार्य श्री को मानने वाले महिलाएं और पुरुष शामिल हुए।

जैन समाज और आचार्य श्री को मानने वाले महिलाएं और पुरुष शामिल हुए।

22 की उम्र में संत बने, पूरा परिवार वैराग्य पथ पर

आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को बेलगावी (कर्नाटक) के सदलगा में हुआ। नाम विद्याधर था।

30 जून 1968 को अजमेर में दीक्षा ली। नाम मिला था ‘विद्यासागर।’

22 नवंबर 1972 को अजमेर में ही आचार्य की पदवी सौंपी गई।

आचार्यश्री के सभी परिजन दीक्षा ले चुके हैं। बड़े भाई मुनि उत्कृष्ट सागर हैं। छोटे भाई अनंतनाथ व शांतिनाथ मुनि योगसागर और मुनि समयसागर हैं। माता-पिता भी दीक्षित हैं।

आचार्य विद्यासागर महाराज को याद करने के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।

आचार्य विद्यासागर महाराज को याद करने के लिए श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।

नसीराबाद में मिला आचार्य पद

दिगंबर जैन समाज के शिरोमणि संत आचार्य विद्यासागर ने 55 साल पहले 30 जून 1968 में अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा ली थी। इसके साक्षी देशभर के 25 हजार श्रद्धालु बने थे। दीक्षा स्थल अजमेर के महावीर सर्किल के पास बना है। दीक्षा की स्मृति में आरके मार्बल परिवार किशनगढ़ की ओर से देश का सबसे बड़ा 71 फीट का कीर्ति स्तंभ बनवाया गया है। इसका निर्माण 30 जून 2018 को कराया गया था।

1967 में किशनगढ़ में आचार्य ज्ञानसागर के सामने आजीवन वाहन की सवारी का त्याग कर दिया था। इसके बाद नसीराबाद में उनको आचार्य पद मिला था। 1972 में राजस्थान छोड़ दिया। उसके बाद राजस्थान नहीं आए।

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