रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नोएडा : नोएडा से बड़ी खबर सामने आ रही है। शुक्रवार को नोएडा अथॉरिटी पर गौतमबुद्ध नगर के किसानों ने महापंचायत की। इसमें नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और एनटीपीसी से प्रभावित 105 गांवों के किसानों ने बड़ा निर्णय लिया है। किसान नेताओं ने महापंचायत में 8 फरवरी को दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है। ट्रैक्टर और पदयात्रा कर किस दिल्ली कूच करेंगे। इस आंदोलन का नेतृत्व भारतीय किसान परिषद कर रहा है। किसानों की संख्या को देखते हुए अथॉरिटी पर बड़ी संख्या में फोर्स को तैनात किया गया था।
क्या कहते हैं सुखबीर खलीफा
भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण और एनटीपीसी पर 50 दिनों से अधिक समय से धरना चल रहा है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी पर पिछले 4 दिनों से धरना शुरू हुआ है। पहले यह महापंचायत एक फरवरी को होने वाली थी। लेकिन मौसम खराब होने के कारण महापंचायत शुक्रवार को की गई। महापंचायत में दिल्ली जाने का ऐलान किया गया है। किसान दिल्ली जाने पर मजबूर हैं। दिल्ली कूच में महिलाएं और युवा भी शामिल होंगे।
किसी ने रोका तो चिल्ला पर होगा धरना
सुखबीर खलीफा ने कहा कि जिले को चलाने वाले जनप्रतिनिधियों को भी कई बार अवगत करवाया गया, हर बार उन्होंने भी किसानों को मुद्दे को दरकिनार किया है। दिल्ली जाने के दौरान अगर किसी ने रोकने की कोशिश की तो गाजीपुर बॉर्डर की तरह चिल्ला बॉर्डर पर धरना शुरू कर दिया जाएगा। किसानों ने साफ कहा है कि किसानों की मांग पूरी नहीं होगी तो प्राधिकरण के अधिकारियों का यहां क्या काम? ऐसे में प्राधिकरण को बंद रहना ही ठीक है। मांगें पूरी होने तक वह प्राधिकरण कार्यालय को बंद रखेंगे। उधर, लगातार तीन दिनों से प्राधिकरण दफ्तर में अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने देने से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
क्या है पूरा मामला
किसान नेता अतुल यादव ने बताया कि किसान बढ़ा हुआ मुआवजा, स्थानीय लोगों को रोजगार, 10 प्रतिशत प्लॉट और आबादी की समस्या के पूर्ण निपटारे की मांग कर रहे हैं। दोनों जगहों पर अब तक कोई भी स्थानीय नेता किसानों की समस्याएं सुनने नहीं पहुंचा है। किसान नेताओं के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी नाराज हैं। वे भी उनकी मांगों को ऊपर तक नहीं पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने एनटीपीसी और नोएडा प्राधिकरण को काफी समय दे दिया है। लेकिन, अब तक हमारी मांगों को लेकर सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही की जा रही है। इसलिए अब आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इस आंदोलन में भारी संख्या में महिलाएं भी हिस्सा ले रहीं हैं।