अकेले रह गए बिहार के लव गुरु प्रो. मटुकनाथ, जूली ने छोड़ा देश, पत्नी-बेटे भी हुए अलग

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

पटना बिहार

पटना विश्वविद्यालय के चर्चित प्रोफेसर लवगुरु मटुकनाथ चौधरी इन दिनों अपने पैतृक गांव के पास ही कोरचक्का गांव में ओशो अंतरराष्ट्रीय विद्यालय का संचालन कर रहे हैं.

जूली के साथ प्रेम जगजाहिर होने के बाद श्री चौधरी से उनका परिवार दूर हो गया था तो दूसरी तरफ अब प्रो मटुकनाथ के साथ जूली भी नहीं रही. कोरचक्का गांव में साढ़े तीन एकड़ के निजी भूखंड में प्रो मटुकनाथ ग्रामीण शिक्षकों की मदद से विद्यालय का संचालन कर रहे हैं. मालूम हो कि प्रो चौधरी का पैतृक गांव भागलपुर जिले के बिहपुर प्रखंड के जयरामपुर गांव में है.

वेस्टइंडीज में रह रही है जूली

वर्ष 2020 में जूली की एक तस्वीर वायरल हुई थी. जिसमें वह काफी कमजोर अवस्था में दिख रही थी. सोशल मीडिया पर जूली की इस तस्वीर को लेकर कुछ लोगों ने प्रो चौधरी को ट्रोल भी किया था. हालांकि इस ट्रोल के बाद फिर कभी जूली की कोई खबर सामने नहीं आयी. प्रो चौधरी ने प्रभात खबर से बात चीत के क्रम में बताया कि वर्ष 2020 में उन्हें एक शुभचिंतक के माध्यम से वेस्टइंडीज में जूली के बीमार होने की सूचना मिली. फिर उन्होंने जूली से संपर्क किया और वेस्टइंडीज गये. वहां पर करीब साढ़े तीन माह तक रहे. इस दौरान उन्होंने जूली का इलाज करावाया, जिसके बाद वह बिल्कुल ठीक थी. वह इन दिनों वही प्रवास कर रही है.

वर्ष 2015 में अलग रहने लगी जूली

प्रो मटुकनाथ कहते हैं कि वर्ष 2004 से वे जूली के प्रेम में थे. वर्ष 2006 में प्रेम जगजाहिर हो गया. जिसके बाद वे जूली के साथ 2014 तक रहे. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि प्रेम आजादी देता है. उन्होंने भी जूली को पूरी आजादी दी. इस क्रम में जूली का झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. प्रो मटुकनाथ कहते हैं कि जूली के साथ उनका प्रेम वर्ष 2014 में ही समाप्त होने लगा था. वर्ष 2015 में वह अपनी इच्छा से चली गयी. उन्होंने रोका भी नहीं.

इधर परिवार के लोग भी साथ नहीं

प्रो मटुकनाथ चौधरी ने कहा कि उनके परिवार के लोग जैसे उनकी पत्नी, पुत्र भी उनके साथ नहीं रहते हैं. पुत्र विदेश में रहता है और काफी प्रतिष्ठित पद पर है. जबकि उनकी पहली पत्नी पटना में ही रहती है. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि पत्नी से जुड़ाव की संभावना वर्तमान समय में बनती नहीं दिख रही है. लेकिन वे अपने संपूर्ण जीवन से पूरी तरह से संतुष्ट हैं.

मटुकनाथ के विद्यालय की क्या है स्थिति?

प्रो मटुकनाथ ने कहा कि अक्तूबर 2018 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया. 21 मार्च 2022 को उन्होंने स्कूल की शुरूआत की. प्रो मटुकनाथ कहते हैं कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने गांव आ कर अपनी जमीन पर ओशो इंटरनेशनल स्कूल की स्थापना की. शुरूआती समय में उनके विद्यालय में लगभग 50 छात्र - छात्राएं थे, वर्तमान में उनके विद्यालय में लगभग 40 छात्र - छात्राएं बचे हैं. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि इन दिनों वे मेधा छात्रवृति योजना भी चला रहे हैं, जिसके तहत वे मेधावी बच्चों को पुरस्कार भी देंगे. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि अपने समाज में प्रेम निंदित चीज है, जबकि प्रेम एक शक्ति है.प्रो मटुकनाथ आचार्य के फोलोवर हैं. प्रो मटुकनाथ ने कहा कि समाज में जगमगाहट पैदा करने का उद्देश्य है. इसलिए स्कूल की स्थापना की है. आये दिन वे बच्चों के लिए कई किताबें लिखेंगे और ध्यान करेंगे.


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