राममंदिर आंदोलन की कथा करीब 34 देशों से अयोध्या पहुंची पूजित शिलाएं कनाडा, अमेरिका, उत्तरी ध्रुव,ताइवान, दक्षिण कोरिया और रूस से भी आई रामशिलाएं

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राजेश कुमार यादव की क़लम से

अयोध्या। साधु-संतों के आह्वान पर विश्व हिंदू परिषद के राम शिलापूजन कार्यक्रम से देश और विदेश में क्या हुआ की मौजूदा केंद्र की राजीव गांधी सरकार हिंदूत्व के उभार से लाचार हो गई थी। साल 1989, उत्तरप्रदेश के देवरिया जिले के संत योगीराज देवरहा बाबा की मौजूदगी मेें प्रयाग महाकुंभ में तीसरी धर्मसंसद का आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने किया। इसमें हजारों की तादात में साधु-संत शामिल हुए। धर्म संसद ने घोषणा किया कि श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए देश के हर गांव से एक-एक श्रीराम शिला आएगी और सवा रुपया लिया जाएगा। इसी धर्म संसद में देवरहा बाबा ने विश्व हिंदू परिषद से कहा कि वह संतों के मार्गदर्शन में श्रीरामजन्म भूमि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्यक्रम शुरू करे।

कहा गया कि 30 सितंबर से रामशिलाएं देश के हर गांव में जाएंगी और उसे 9 नवंबर तक अयोध्या लाया जाएगा। उसके बाद देवोत्थान एकादशी 9 नवंबर को ही भूमि पूजन किया जाएगा। अगले दिन 10 नवंबर को राममंदिर का शिलान्यास किया जाएगा।

कार्यक्रम शुरू हो गया और पहली शिला का पूजन उत्तराखंड के बद्रीनाथ में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी शांतानंद ने किया। नवरात्र का वक्त था और शिलापूजन का कार्यक्रम देश भर में उत्साह से शुरू हो गया। इतना ही नहीं, देश के अलावा विदेशों में भी रामशिला का पूजन आरंभ हो गया।

अमेरिका में महात्मा गांधी के वंशज शरद गांधी और प्रोफेसर जगदीश चंद्र गुप्त रामशिला का पूजन करके भारत ले आए। उत्तरी ध्रुव के पास स्थित नार्वे में 30 सितंबर को शिलापूजन किया गया और कैलाश चंद्र शिला लेकर अयोध्या पहुंचे। ब्रिटेन के मिल्टन कींस में विराट हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया और रामशिला का पूजन हुआ। पश्चिम जर्मनी में पूजन के बाद शिला लेकर हरिबाबू कंसल भारत आए। कनाडा के टोरंटो में शिला पूजन हुआ। हांगकांग में अनेक स्थानों पर रामशिला पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया।

थाईलैंड में लोगों ने उत्साह से रामशिला पूजन में हिस्सा लिया। इतना ही नहीं, इजरायल, ताइवान, दक्षिण कोरिया और रूस से भी रामशिलाएं अयोध्या पहुंची। चीनी भाषा में रामायण का अनुवाद करने वाले प्रोफेसर जीन डींगोन ने चीन से रामशिला अयोध्या भेजी।

आस्ट्रेलिया से 80 करोड़ साल पुरानी आई रामशिला

ऑस्ट्रेलिया के काल वेडीवल्ले ने एक ऐसी चट्टान से निकाली गई रामशिला भेजी थी जो 80 करोड़ साल पुरानी मानी जाती है। रीपूरियन द्विप समूह की रामशिला चिन्मय मिशन के माध्यम से आई तो कई देशों की रामशिलाएं इस्कान के माध्यम से अयोध्या पहुंची। सूरीनाम, नीदरलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, बेल्जियम, पुर्तगाल, स्पेन, जाम्बिया, कीनिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, शिसीलस, बांग्लादेश, गुयाना, भूटान, मॉरीशस और बोत्सवाना में भी रामशिला पूजन कार्यक्रम हुआ और शिलाएं अयोध्या पहुंंची।


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