रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली
पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने किताब प्रणब माई फादर लिखी है। शर्मिष्ठा ने इसमें सोनिया, राजीव, नेहरू, इंदिरा, राहुल पर कई दावे किए हैं। उन्होंने बताया कि क्यों सोनिया गांधी का विरोध किया। इसमे बताया गया है कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तब उन्हें फैसला लेने से पहले सोनिया गांधी की सलाह-अनुमति लेने को कहा गया जिसका प्रणब मुखर्जी ने विरोध किया था। राहुल पर लिखा कि एक बार प्रणब ने बताया था कि राहुल के ऑफिस को AM (रात 12 बजे से दोपहर 12 बजे तक का वक्त) और PM (दोपहर 12 बजे से रात 12 बजे का वक्त) नहीं पता। क्या कभी वे प्रधानमंत्री ऑफिस संभाल पाएंगे।
शर्मिष्ठा के मुताबिक, उनके पिता ने यह भी बताया था कि राहुल गांधी ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कई प्रोग्राम्स में नहीं आते थे। ऐसा क्यों होता था, यह नहीं पता। शर्मिष्ठा ने राहुल और उनके परिवार को लेकर उनके पिता की आलोचनात्मक टिप्पणियों का जिक्र किया है। राहुल गांधी बहुत विनम्र और सवालों से भरपूर हैं लेकिन उनका मानना था कि राहुल गांधी को अभी राजनीतिक रूप से परिपक्व होना बाकी है।
शर्मिष्ठा ने बताया- एक दिन प्रणब मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। राहुल उनसे मिलने आए। मेरे पिता को पूजा और मॉर्निंग वॉक के दौरान किसी से मिलना पसंद नहीं था। हालांकि उन्होंने राहुल से मिलना तय किया, लेकिन बात यह नहीं थी। असल में, राहुल का प्रणब से मुलाकात का वक्त शाम को तय था, लेकिन उनके (राहुल) ऑफिस ने उन्हें गलती से सुबह का वक्त बता दिया। मैंने (शर्मिष्ठा) इस बारे में एक एडीसी से बात की थी। इसको लेकर जब मैंने अपने पिता से पूछा तो उन्होंने कहा कि राहुल के ऑफिस को AM और PM में अंतर नहीं पता। वो कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक दिन पीएमओ चलाएंगे।
शर्मिष्ठा ने लिखा- प्रणब ने बताया था कि राहुल 28 दिसंबर 2013 को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर होने वाले झंडावंदन कार्यक्रम में नहीं आए थे। इसके 6 महीने बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। प्रणब ने डायरी में लिखा था, राहुल AICC के कार्यक्रमों में नहीं आते थे। मुझे इसका कारण नहीं पता, लेकिन ऐसा कई बार हुआ। वे (राहुल) हर चीज को बहुत सामान्य तरीके से लेते थे। उनके लिए किसी चीज की कोई कीमत नहीं थी। सोनिया जी अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाना चाहती हैं, लेकिन इस युवा में करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी समस्या पैदा कर रही है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकता है? क्या वह लोगों को प्रेरित कर सकता है? मुझे नहीं पता। शर्मिष्ठा ने यह भी लिखा- मेरे पिता को लगता था कि राहुल पार्टी के कठिन समय में अचानक से ब्रेक ले लेते थे। इसी की वजह से वह अपने बारे में राय बनाने की जंग हार गए।
शर्मिष्ठा यह भी लिखती हैं- प्रणब मानते थे कि राहुल में कांग्रेस को दोबारा से खड़ा करने की योग्यता नहीं है, लेकिन आज मेरे पिता होते और वे राहुल की 145 दिन की भारत जोड़ो यात्रा देखते तो उनकी तारीफ करते। शर्मिष्ठा ने अपनी किताब में लिखा कि प्रणब मुखर्जी से 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने रहस्यमय तरीके से जवाब दिया कि नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी।