12वीं में हुए फेल, नौकरी भी मिली 11,000 रुपये वाली, नहीं हारी हिम्मत, करोड़ों में कारोबार और 3 कंपनियों के मालिक

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली

नौकरी छोड़कर बिजनेस करना आसान काम नहीं है, क्योंकि व्यवसाय में हमेशा जोखिम उठाना पड़ता है. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में भारत में स्टार्ट अप कल्चर जैसे-जैसे बढ़ा तो युवा उद्यमियों ने भी रिस्क लेना शुरू किया. हम आपको एक ऐसे युवा उद्यमी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने बिहार के एक छोटे-से गांव से निकलकर महानगर में अपना मुकद्दर बनाया.

हम बात कर रहे हैं Deebaco के फाउंडर सुशील सिंह की. यह एक ग्लोबल ऑनलाइन क्लोदिंग स्टोर है. कभी 11,000 रुपये की नौकरी करने वाले सुशील सिंह ने आखिर यह मकाम कैसे हासिल किया. इसके पीछे बड़ी दिलचस्प कहानी है.

पढ़ाई में कमजोर, कम सैलरी, फिर भी हौसला रखा बुलंद

यूपी से ताल्लुक रखने वाले सुशील सिंह एक गरीब परिवार से आते थे. किसी जमाने में उनके पिता बैंक में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे और परिवार एक चॉल में रहता था. पढ़ाई में औसत छात्र रहे सुशील 12वीं क्लास में फेल हो गए लेकिन इस असफलता से उनका हौसला टूटा नहीं. इसके बाद एक वक्त वह आया जब उन्होंने कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया. हालाँकि, यहां भी सुशील सिंह का मन नहीं लगा और उन्होंने दूसरे वर्ष में ही कॉलेज छोड़ दिया. इसके बाद पॉलिटेक्निक कोर्स किया और एंट्री-लेवल टेलीकॉलर और सेल्स एक्जीक्यूटिव की नौकरी की. इस जॉब में सुशील को महज 11,000 रुपये वेतन मिलता था.

शादी के बाद मिला बीवी का साथ

इस दौरान सुशील ने शादी कर ली, उनकी वाइफ एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. शादी के बाद उन्होंने अपनी बीवी के साथ मिलकर नोएडा में बीपीओ का काम शुरू किया. इसके साथ ही SSR Techvision अस्तित्व में आया. बिजनेस चलने लगा तो सुशील ने 2.5 साल बाद नोएडा में एक बिल्डिंग को खरीदने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने Deebaco की शुरुआत की. यह एक ग्लोबल B2C ऑनलाइन क्लोदिंग स्टोर है, जिसकी कमान उनकी पत्नी के हाथों में है. इसके बाद उन्होंने अपना तीसरा बिजनेस Saiva System Inc लॉन्च किया. इसकी शुरुआत उन्होंने 2019 में की थी. यह एक मल्टीनेशनल IT कंसल्टिंग कंपनी है.

सुशील सिंह की कंपनियों में SSR Techvision, Deebaco और Cyva Systems शामिल हैं. सुशील ने एक टेक्नोप्रेन्योर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. अब वे 3 प्रॉफिटेबल कंपनियों के साथ-साथ एक एनजीओ के भी फाउंडर हैं.


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