Gorakhpur, बचपन का पहरा ,नगर निगम का श्याम पार्क बना पार्किंग, खेल का मैदान वाहनो की गिरफ्त मे ,

Rajesh Kumar Yadav
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 बचपन पर पहरा: नगर निगम का श्याम पार्क बना पार्किंग, खेल का मैदान वाहनों की गिरफ्त में!

बेतियाहाता कॉलोनी में बच्चों के खेल पर संकट, गाड़ियों के कब्जे से नाराज लोग – प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में!

रिपोर्ट राजेश कुमार यादव 

गोरखपुर, बेतियाहाता: कभी बच्चों की हंसी से गूंजने वाला श्याम पार्क अब गाड़ियों की भीड़ में गुम हो गया है। नगर निगम द्वारा विकसित यह पार्क स्थानीय बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के टहलने के लिए बनाया गया था, लेकिन आज यह अवैध पार्किंग स्थल बन चुका है। जहां बच्चों को दौड़ना चाहिए, वहां अब कारों और बाइक की कतारें लगी हैं।

बच्चों और स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रशासन और नगर निगम से शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस पार्क में न तो खेल के लिए जगह बची है, न ही टहलने के लिए रास्ता। अब सवाल उठता है – क्या बच्चों के खेलने का हक खत्म हो गया है? क्या प्रशासन की अनदेखी से यह पार्क हमेशा के लिए पार्किंग में बदल जाएगा?

श्याम पार्क: खेल का मैदान नहीं, पार्किंग की तस्वीर बन गया!

यह पार्क एक समय बच्चों के लिए सुरक्षित खेल का मैदान था, लेकिन अब यहां वाहनों की भरमार है। बच्चे खेलने आते हैं, तो उन्हें जगह नहीं मिलती। बुजुर्ग सैर करने आते हैं, तो उन्हें पार्किंग में चलना पड़ता है। बेतियाहाता कॉलोनी के निवासियों ने इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।

स्थानीय निवासी संजय तिवारी ने कहा,

"यह पार्क बच्चों के खेलने और बुजुर्गों के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह गाड़ियों का अड्डा बन गया है। प्रशासन को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए, वरना बच्चे सड़कों पर खेलने को मजबूर हो जाएंगे!"

बच्चों की परेशानी: खेलने की जगह बची नहीं, सड़क पर खेलें तो खतरा!

बच्चे अब या तो घर में कैद रहने को मजबूर हैं या फिर सड़क पर खेलते हैं, जहां उनकी जान को खतरा बना रहता है।

10 वर्षीय वेदांत शर्मा ने कहा,

"हम पहले यहां क्रिकेट और फुटबॉल खेलते थे, लेकिन अब गाड़ियों के कारण जगह ही नहीं बची। अगर गलती से हमारी गेंद कार से टकरा जाए, तो लोग हमें डांटने लगते हैं।"

12 वर्षीय पियूष तिवारी ने बताया,

"हमारे पास खेलने के लिए अब कोई सुरक्षित जगह नहीं बची। या तो हमें सड़कों पर खेलना होगा, जो खतरनाक है, या फिर खेलना ही छोड़ देना होगा।"

नगर निगम और प्रशासन की चुप्पी क्यों?

इस पार्क की देखरेख और सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम की है, लेकिन उसकी लापरवाही ने इसे पार्किंग स्थल में बदल दिया है।

स्थानीय निवासी सीमा वर्मा ने नाराजगी जताते हुए कहा,

"हमने नगर निगम में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अगर प्रशासन इसी तरह अनदेखी करता रहा, तो आने वाले दिनों में गोरखपुर में बच्चों के खेलने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी।"

क्या कहता है कानून?

भारत के शहरी नियोजन और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन गोरखपुर में यह सब सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है।

1. नगर नियोजन नियमों के अनुसार, हर आवासीय क्षेत्र में खेल के मैदान और पार्क सुरक्षित रखने अनिवार्य हैं।

2. संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (UNCRC) के तहत बच्चों को खेलने और खुली जगहों में गतिविधियां करने का अधिकार प्राप्त है।

3. राष्ट्रीय शहरी नीतियों के अनुसार, नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह पार्कों में किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या निजी उपयोग को रोके।

लेकिन गोरखपुर का श्याम पार्क कानूनों और नियमों की धज्जियां उड़ाने का उदाहरण बन चुका है।

क्या होगा समाधान? प्रशासन कब जागेगा?

अब सवाल उठता है कि नगर निगम और जिला प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे या फिर इसे नजरअंदाज कर देंगे?

निवासियों की चेतावनी: अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़ा आंदोलन होगा!

स्थानीय लोगों ने साफ कर दिया है कि अगर नगर निगम जल्द ही पार्क को अवैध पार्किंग से मुक्त नहीं कराता, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे और जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान देता है या नहीं, या फिर बच्चों का खेल वाहनों के पहियों तले कुचलता रहेगा।

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