गैर इरादतन हत्या के मामले में सॉल्वेंट व्यवसाई समेत चार बरी
रिपोर्ट साधना सिंह एडवोकेट मीडिया सलाहकार उत्तर प्रदेश
वाराणसी। फैक्ट्री में लापरवाही से रखे सॉल्वेंट से लगी आग के चलते एक व्यक्ति की मौत के मामले में सॉल्वेंट व्यवसाई समेत चार आरोपियों को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। अपर जिला जज (प्रथम) अनिल कुमार पंचम की अदालत ने धरसौना, चोलापुर निवासी सॉल्वेंट व्यवसाई बब्लू उर्फ शिव भजन गुप्ता, उसके भाई डब्लू उर्फ राघवेंद्र के साथ सैयदराजा, चंदौली निवासी त्रिभुवन सिंह एवं कटारी, चोलापुर निवासी प्रेम शंकर राम को आरोप सिद्ध न होने पर संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, बृजपाल सिंह यादव व नरेश यादव ने पक्ष रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार चोलापुर थाना क्षेत्र के धरसौना गांव के प्रधान पुत्र राम प्यारे ने चोलापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि ग्राम सभा अन्तर्गत पवारेपुर में वाराणसी पेट्रोकेम नाम से पिछले पांच साल से फैक्ट्री स्थापित है। जिसका संचालन उसके गाँव के निवासी जवाहर जायसवाल एवं उसके पुत्रगण बबलू उर्फ शिव भजन गुप्ता, राघवेन्द्र उर्फ डब्लू जायसवाल द्वारा किया जा रहा है। इस बीच 12 जून 2009 को समय करीब रात्रि 9.45 बजे मजदूर कार्य कर रहे थे। उसी समय फैक्ट्री से ज्वलनशील थिनर में अचानक आग लग गयी। फैक्ट्री के अन्दर आग बुझाने के सम्बन्धित उपकरण न होने के कारण उत्तर दक्षिण शिव डीजल स्टोर के भाग में भयानक आग लग गयी तथा तेज तेज आवाज आने लगी। आग और धमाको की आवाज सुनकर गांव के लोग इकठ्ठा हो गये। साथ ही फैक्ट्री के अन्दर कार्य कर रहे मजदूर क्रमशः विजय बहादुर, महेन्द्र प्रताप, अशोक कुमार मिश्रा, मनोज सिंह, राजेश मौर्या आग लगने से गम्भीर रूप से घायल हो गये है। यह घटना फैक्ट्री के अन्दर जर्जर हो चुकी मशीनों तथा फैक्ट्री संचालनकर्ता के घोर लापरवाही के कारण हुई है। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की। विवेचना के दौरान विजय बहादुर, महेन्द्र प्रताप, अशोक कुमार मिश्रा, मनोज सिंह की मृत्यु हो जाने पर सभी आरोपितों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित कर दिया। अदालत में अभियोजन की ओर से 8 गवाह परीक्षित कराए गए। अदालत ने गवाहों के बयान व पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों के अवलोकन के बाद आरोप सिद्ध न होने पर सभी आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया। वहीं इस मामले में एक आरोपित जवाहर जायसवाल की विचारण के दौरान मौत हो जाने पर उसके खिलाफ सुनवाई समाप्त कर दी गई थी।