स्मृति जुबिन ईरानी की अमेठी हार: संगठन की कमजोरी या कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता?
राजेश कुमार यादव की कलम से
अमेठी।उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट, जो कभी गांधी परिवार का राजनीतिक किला मानी जाती थी, 2019 में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी की ऐतिहासिक जीत के साथ भाजपा के खाते में आई। इस जीत ने न केवल कांग्रेस के दशकों पुराने दबदबे को समाप्त किया, बल्कि भाजपा को क्षेत्रीय राजनीति में एक नई पहचान भी दिलाई। हालांकि, हालिया चुनाव में स्मृति जुबिन ईरानी को हार का सामना करना पड़ा, जिससे भाजपा और संगठन में कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह हार संगठन की कमजोरी का परिणाम है या कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता का?
*स्मृति जुबिन ईरानी की मेहनत और जनता से जुड़ाव*
स्मृति जुबिन ईरानी ने केंद्रीय मंत्री रहते हुए अमेठी में अपने कार्यों के जरिए क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जिनका असर क्षेत्र की जनता पर पड़ा। "दीदी" के रूप में उनकी पहचान आज भी अमेठी और पूरे भारत में मजबूत है। उनकी लोकप्रियता न केवल अमेठी में बल्कि पूरे देश में बनी हुई है। वे भाजपा की स्टार प्रचारक हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई चुनावों में जीत हासिल की है।
*कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता और संगठन की कमजोरी*
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसी भी चुनावी जीत का आधार स्थानीय कार्यकर्ताओं की मेहनत होती है। हालांकि, अमेठी में भाजपा के कई कार्यकर्ता जनसंपर्क के बजाय सोशल मीडिया और फोटोशूट में अधिक सक्रिय नजर आए। कई बूथों पर यह महसूस किया गया कि भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में असफल रहे। कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता को हार का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
*पैराशूट मंडल अध्यक्ष: कार्यकर्ताओं में असंतोष*
अमेठी जिले में हाल ही में भाजपा ने मंडल अध्यक्षों का चयन किया। इस प्रक्रिया ने कई विवादों को जन्म दिया है। विशेष रूप से जगदीशपुर मंडल में राम उजागर तिवारी को हटाकर बिना चुनाव के राजकिशोर पांडे को मंडल अध्यक्ष बनाया गया। उन्हें "पैराशूट मंडल अध्यक्ष" कहा जा रहा है, क्योंकि उनका चयन न तो कार्यकर्ताओं की सहमति से हुआ और न ही उनका जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से कोई खास जुड़ाव बन सका। यह निर्णय कार्यकर्ताओं में असंतोष का कारण बना है।
*जनता और कार्यकर्ताओं की राय*
पूर्व मंडल अध्यक्ष राम उजागर तिवारी के कार्यकाल में भाजपा ने जगदीशपुर मंडल में नए आयाम स्थापित किए थे। उनके हटने के बाद कार्यकर्ताओं ने इसे संगठन में अनुशासन और पारदर्शिता की कमी के रूप में देखा। भाजपा के कार्यकर्ता यह देख रहे हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में क्या फिर से किसी जुझारू कार्यकर्ता को मंडल अध्यक्ष के रूप में चुना जाएगा या फिर पुराने तरीके को ही दोहराया जाएगा।
*नई कार्यकर्ताओं की भूमिका और बदलाव की आवश्यकता*
स्मृति जुबिन ईरानी के कार्यों को सराहते हुए यह भी स्पष्ट है कि भाजपा को अब अपने कार्यकर्ताओं के चयन में बदलाव करना होगा। पुराने और निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की जगह नए, सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देनी होगी। यदि पार्टी नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देती है और उन्हें सशक्त बनाती है, तो अमेठी में भाजपा की जड़ें और गहरी हो सकती हैं।
*निष्कर्ष:* संगठन में सुधार की आवश्यकता
स्मृति जुबिन ईरानी ने अमेठी में जो पहचान बनाई है, उसे बनाए रखने के लिए भाजपा को अपने संगठन में सुधार करना होगा। कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्व देते हुए पार्टी को नए और मजबूत कार्यकर्ताओं का चयन करना चाहिए। यदि पार्टी संगठन में बदलाव करती है और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देकर उन्हें सक्रिय करती है, तो अमेठी में भाजपा का भविष्य उज्जवल हो सकता है। अन्यथा, यदि पुराने तरीके ही अपनाए गए, तो इसका नुकसान पार्टी को अगले चुनावों में भी उठाना पड़ सकता है।