सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्ष-समाजवादी शब्द हटाने की मांग खारिज की
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाने की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने 25 नवंबर को संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि ये शब्द संविधान के 42वें संशोधन (1976) के तहत जोड़े गए थे और भारतीय लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे का हिस्सा हैं।
बेंच ने स्पष्ट किया कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द भारतीय लोकतंत्र की बुनियादी विशेषताओं को व्यक्त करते हैं और इन्हें हटाना संविधान के मूल उद्देश्यों के खिलाफ होगा। कोर्ट ने कहा कि संविधान को उसके मूल सिद्धांतों से अलग करने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है।