राजेश कुमार यादव की कलम से
उत्तर प्रदेश की जेलों के मुखिया पीवी रामा शास्त्री ने जेलों में व्यवस्था को बेहतर पारदर्शी एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के उद्देश्य से एक ऐसी व्यवस्था को लागू किया है जो पुराने समय से चली आ रही थी, लेकिन अब उसको समाप्त कर एक नई व्यवस्था लागू की गई है जो अपने आप में एक नजीर बनी है, अब अल्फाबेटिकल ऑर्डर में बैरकों में बंदी रखे जाएंगे, डी जी जेल पीवी रामा शास्त्री के आदेश पर यह व्यवस्था पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कर दी गई है साथ ही सभी जेलों को इसे सख्ती से लागू करने के भी आदेश जारी किए गए हैं, समय-समय पर औचक निरीक्षण कर इसे जाना और परखा जाएगा, अगर व्यवस्था का पालन नहीं होता है तो संबंधित अधिकारियों और जेल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लखनऊ जिला जेल समेत सभी कैदियों को इस व्यवस्था के तहत रखा जाने लगा है, बंदियों को उनके नाम के पहले अक्षर के आधार पर बैरक बांटी जा रही हैं, जिस अक्षर के नाम वाले कैदियों की संख्या ज्यादा है वहां उनको अतिरिक्त बैरकों में रखे जाने की व्यवस्था की गई है, महिला कैदियों तथा 18 से 21 साल के कैदियों और जेल में काम करने वाले कैदियों को इसमें छूट मिलेगी, इसके अलावा एक ही गैंग या विरोधी गैंग के कैदियों पर यह व्यवस्था लागू नहीं होगी, आतंकवादियों एक कुख्यात अपराधियों को भी प्रशासनिक आधार एवं सुरक्षा कारणों के चलते इससे अलग रखा गया है, जानकारी के मुताबिक जेलों में फेले भ्रष्टाचार को रोकना ही इस व्यवस्था को मुख्य रूप से लागू करने का उद्देश्य रहा है, जेल में बैरक बांटने के नाम पर चलने वाला खेल अब खत्म हो जाएगा, उल्लेखनीय है कि मर्जी से बैरक बांटना या गैंग के लोगों का साथ रहना अब आसान नहीं रहेगा, साथ ही सुविधा शुल्क देकर मनचाही बैरक अब नहीं मिल पाएगी, इससे पूरी तरीके से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, उल्लेखनीय है की मर्जी से बैरक बांटना या गैंग के लोगों के साथ रहने से सुविधा शुल्क वसूलने के आरोप लगाते रहें हैं पर यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद केवल कैदियों को उनके नाम के पहले अक्षर के मुताबिक ही बैरक आवंटित होगी, इससे जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी पर रोक लगेगी, इसके अलावा कैदियों को ढूंढने तथा पेशी पर ले जाने के दौरान उनकी तलाशी में आसानी होगी, डीजी पीवी रामा शास्त्री ने बताया कि कैदियों को बैरक अलाट में पारदर्शिता, अपराधियों के ग्रुप में रहने और किसी भी तरह की गलत प्रेक्टिस या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जेल में अल्फाबेटिकल ऑर्डर के आधार पर कैदियों को रखने की व्यवस्था शुरू की गई है, इसमें विशेष परिस्थितियों में कुछ छूट प्रदान की गई है जेल अधीक्षक अपने स्तर पर इस पर फैसला ले सकेंगे लेकिन फैसले का आधार न्याय संगत होना जरूरी है अगर गलत लोगों को आवंटन किया गया तो ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी साथ ही टीमें भेजकर समय पर समय पर इसकी जांच कराई जाएगी । अब यह व्यवस्था लागू हो जाने के बाद निश्चित रूप से जेलों में फैला भ्रष्टाचार काफी हद तक खत्म हो सकेगा क्योंकि बैरकों में गिनती कटवाने के नाम पर चलने वाला जो खेल था अब उम्मीद की जा सकती है कि वह बंद हो सकेगा, और यह खेल पश्चिम की जेलों में ज्यादातर देखा जाता था, अब यह व्यवस्था लागू होने के बाद कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लग सकेगा, पीवी रामा शास्त्री एक सुलझे हुए अधिकारी हैं और उनके फैसले न्याय संगत तो होते ही हैं साथ ही दूरगामी भी होते हैं, उन्होंने उत्तर प्रदेश की जेलों में जो यह परिवर्तन किया है वह आने वाले समय में एक नजीर बनेगा और एक उदाहरण के रूप में हमेशा याद किया जाएगा, उनका यह फैसला इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज होगा, पीवी रामा शास्त्री की यह पहल और यह कार्य वास्तव में बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय