कौन हैं ISRO के पूर्व प्रमुख डॉ के.राधाकृष्णन? NTA में गड़बड़ी की जांच करने वाली समिति के बनाए गए अध्यक्ष

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली

Dr K Radhakrishnan: शिक्षा मंत्रालय ने 22 जून को कहा कि उसने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से परीक्षाओं का पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए पूर्व इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग ने कहा कि सात सदस्यीय समिति परीक्षा प्रक्रिया के तंत्र में सुधार, डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली पर सिफारिशें करेगी। इसमें कहा गया है कि समिति दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी। हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी जे राव और एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया पैनल में हैं। सीसी

कौन हैं के राधाकृष्णन जो करेंगे NTA में गड़बड़ी की जांच

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष और आईआईटी कानपुर के बीओजी के अध्यक्ष कोप्पिलिल राधाकृष्णन परीक्षाओं के पारदर्शी, सुचारू और निष्पक्ष संचालन को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख होंगे।

देश के जाने माने वैज्ञानिक डॉ. के राधाकृष्णन भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनका जन्म 29 अगस्त 1949 को केरल में हुआ था। डॉ. राधाकृष्णन ने बीएससी इंजीनियरिंग की अपनी पढ़ाई इंजीनियरिंग कॉलेज, त्रिवेंद्रम से पूरी करने के बाद आईआईटी खड़गपुर से पीएचडी और आईआईएम बैंगलोर से पीजीडीएम की डिग्री प्राप्त की।

के राधाकृष्णन का करियर

डॉ. राधाकृष्णन के करियर की शुरुआत साल 1971 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) से हुई। सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) प्रोजेक्ट में डॉ के राधाकृष्णन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डॉ राधाकृष्णन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। वह नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी के निदेशक भी थे।

इसरो द्वारा साझा किए गए विवरण के अनुसार, राधाकृष्णन ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एवियोनिक्स इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने अंतरिक्ष प्रक्षेपण प्रणालियों, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और अंतरिक्ष कार्यक्रम प्रबंधन के क्षेत्र में इसरो में कई निर्णायक पदों पर कार्य किया।

इसरो ने मंगलयान मिशन को पहले प्रयास में ही मंगल तक पहुंचाने का करिश्मा डॉ. राधाकृष्णन के मार्गदर्शन में ही किया था। यह हमारे देश की बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में अपने संक्षिप्त कार्यकाल (2000-2005) में, वह भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) के संस्थापक निदेशक और भारतीय राष्ट्रीय सुनामी चेतावनी प्रणाली के पहले परियोजना निदेशक थे।

डॉ. राधाकृष्णन ने डॉ. जी माधवन नायर के रिटायरमेंट के बाद इसरो के अध्यक्ष का पद संभाला। उन्होंने 1 नवंबर, 2009 को अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव के साथ-साथ इसरो परिषद के अध्यक्ष (अध्यक्ष, इसरो) की सहवर्ती जिम्मेदारियां संभालीं। इसरो प्रमुख के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता जीएसएलवी के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन तैयार करना था।

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