रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
हनुमना। वैसे तो आम आदमी को जिंदगी परेशानियों से भरी होती है और सुख की चेन उसको अपने घर में जब दो वक्त की रोटी मिलती है। तब ही आता है। तब वह सोचता है कि सुकून मिलेगा लेकिन एक कहानी है। जो आज नहीं कई वर्षों से चली आ रही है। और वह कहानी किसी और कि नहीं गौरी सबस्टेशन बिजली विभाग के लाइनमैन भानु प्रताप सिंह की है ऐसा कोई भी दिन हो कि जब गौरी की लाइट में खराबी ना रहती हो लेकिन कभी क्षेत्र में नही दिखाई देते यहां के क्षेत्रीय लाइन मैन और बिजली व्यवस्था रहती है भ्रष्ट।
कभी-कभी तो आओ भगत जाओ भगत बाली रहती है बिजली जो कभी भी थोडा सा हवा भी चले तो लाइट बंद हो जाती है। लेकिन सुधार के नाम पर केवल खाना पूर्ति रहती है। फिर भी मेंटीनेंस के नाम पर लाइट गोल रहती है
दरअसल आपको बता दे की एक कहावत है की जो की गौरी सबस्टेशन बिजली विभाग में सही फीट होती हैं। लाइट एक धोखेबाज मोहब्बत की तरह है वो किसी की सगी नही होती वह अपनी मोहब्बत को छोड़कर कभी भी चली जाती है ऐसा ही मामला गौरी सबस्टेशन की बिजली का है कब आकर चली जाती है। घर वालों को भी पता नहीं चलता और बिजली का बिल आता है 500से 5000 रुपए
बिजली विभाग के मनमानी से ग्रामीण परेशान
विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को मीटर रीडिंग से अधिक बिल भेजा जा रहा है, जिससे उपभोक्ता काफी परेशान हैं। यह व्यवसायिक उपयोग की बात नहीं, अपितु घरों में खपत होने वाली बिजली का मामला है। अनाप शनाप घरेलू बिजली बिल का बिल आने से ग्रामीण उपभोक्ता बेहद परेशान हैं। जबकि बिजली विभाग के कर्मचारी कभी भी मीटर रीडिंग करने नही आते हैं और मनमानी एवरेज बिल 500 से 5000 तक दी जा रही है। राशि अधिक आने से ग्रामीण परेशान है। ऐसे में उसे सुधारने के लिए ग्रामीण को कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।