प्रत्येक चरण में गिरते मत-प्रतिशत ने बढ़ाई भाजपा के दिग्गजों की चिंता भाजपा के 400 से अधिक सीटों के विजयी अभियान पर मत-प्रतिशत ने खड़े किये प्रश्नचिन्ह मध्यप्रदेश के 12 में से 06 मंत्रियों के क्षेत्रों में हुए मतदान प्रतिशत से मंत्री जी के माथे पर खिचीं चिंता की लकीरें , अमित शाह की धमकी, सकते में बीजेपी के मंत्री

A G SHAH
0


रिपोर्ट राजेश कुमार यादव हेड एडिटर, sctvmews

देश में लोकसभा चुनाव के लिए दो चरणों के मतदान हो चुके हैं। आगामी दिनों में पांच चरणों के मतदान होना बाकी है। खास बात यह है कि अब तक संपन्न हुए दो चऱणों के मतदान में कम वोट प्रतिशत सामने आया है। मतदान प्रतिशत कम होना इस बात की ओर साफ इशारा करता है कि आम जनता को सत्ताधारी दल पर बिल्कुल भरोसा नहीं है और वह बिल्कुल नहीं चाहती कि यह सरकार दोबारा कार्यकाल संभाले। चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दो चरणों में अब तक मतदान का प्रतिशत 66 प्रतिशत ही रहा है। पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान हुआ है। मतदान प्रतिशत के इस अंतर ने सत्ताधारी दल भाजपा नेताओं के माथे पर लकीरे खींच दी है। यही कारण है कि मतदान प्रतिशत कम होने से बौखलाए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि अगर लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम हुआ तो जिन क्षेत्रों के मंत्रियों में मतदान का प्रतिशत कम होगा वह उस सीट के मंत्री विधायक के लिए ठीक नहीं होगा। शाह की दो टूक के बाद मध्यप्रदेश सहित देश के विभिन्न भाजपा शासित राज्यों में नेताओं और मंत्रियों के बीच भूचाल आ गया है और हर कोई अब केवल मतदान प्रतिशत बढ़ाने की जुगत में लग गया है। अब देखने वाली बात यह है कि आगामी 07 मई को भोपाल सहित कई राज्यों में लोकसभा चुनाव होना है वहां क्या इस धमकी का असर दिखाई देता है।

कम मतदान से बीजेपी को नुकसान

वैसे कहा जा सकता है कि कम मतदान होने पर नुकसान बीजेपी को ही होने वाला है। क्‍योंकि जितने ज्‍यादा वोट डलेंगे वह बीजेपी के ही डलेंगे। यही कारण है कि मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर भाजपा ही ज्‍यादा जोर दे रही है। कांग्रेस अपने वोटबैंक को लेकर निश्चिंत है। उसे पता है कि उसका समर्थक वोटर तो मतदान कर रहा है। निश्चित ही कम मतदान से नुकसान बीजेपी को ही होने वाला है। कम मतदान से प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत प्रदेश के मुख्‍यमंत्री तक सब घबराये हुए हैं। और कोशिश कर रहे हैं कि मतदान के प्रतिशत को बढ़ाया जाये। कम मतदान होने का मतलब यह भी हो सकता है कि देश का मतदाता बीजेपी से नाराज है। और वह वोट ही नहीं करना चाहता है।

मध्यप्रदेश में मतदान प्रतिशत का गणित

मध्यप्रदेश में पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा बड़े अंतर से जीती पर उसे कुछ विधानसभा क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में 39 तो 2019 के चुनाव में भाजपा को 22 सीटों पर नुकसान हुआ था। इन सीटों पर पार्टी को कम मत मिले थे। इस बार पार्टी की रणनीति प्रत्येक मतदान केंद्र पर 370 वोट अपने पक्ष में बढ़ाकर सभी विधानसभा सीटों जीत प्राप्त करने की है।

सुरक्षित सीटों पर अधिक जोर दिया जा रहा है

इसके लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित सीटों पर अधिक जोर दिया जा रहा है। यद्यपि, पहले और दूसरे चरण में हुए कम मतदान ने उसकी चिंता बढ़ा दी है, इसलिए समीक्षा कर पन्ना, अर्द्ध पन्ना प्रभारियों के साथ सभी मोर्चा संगठनों को बूथवार सक्रिय किया गया है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 67.75 प्रतिशत तो दूसरे चरण के 58.59 प्रतिशत मतदान रहा है, जो पार्टी की उम्मीद से काफी कम है।

भाजपा ने बूथ प्रभारियों को किया सक्रिय

ऐसे में अब भाजपा ने तीसरे और चौथे चरण में होने वाले मतदान को लेकर बूथवार समीक्षा की और अधिक से अधिक मतदान कराने के लिए बूथ प्रभारियों को और अधिक सक्रिय किया है। पार्टी का लक्ष्य सभी 29 सीटों पर कमल का फूल खिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झोली में डालना है। इसके लिए प्रत्येक बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

12 में से 06 मंत्री डेंजर जोन में नजर आए

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के पहले भोपाल में एक बैठक ली। इसमें मध्यप्रदेश के बीजेपी नेता शामिल हुए। इस बैठक में उन्होंने कहा- जिन मंत्रियों के इलाके में मतदान प्रतिशत कम होगा, उनका मंत्री पद चला जाएगा। बदले में उन विधायकों को मंत्री बनाया जाएगा, जिनके क्षेत्र में मतदान प्रतिशत बढ़ेगा। हालांकि, अमित शाह ने ये नहीं बताया कि कितने फीसदी कम वोटिंग पर मंत्रियों का पद जा सकता है। अमित शाह की ही इस चेतावनी को आधार मान कर दोनों चरणों के चुनाव की वोटिंग का एनालिसिस किया तो 12 में से 6 मंत्री डेंजर जोन में नजर आए। इनकी विधानसभा सीटों पर हुआ मतदान, लोकसभा क्षेत्र में हुई औसत वोटिंग से भी कम है।

कहीं खोखला न साबित हो जाए अमित शाह का दावा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के शुरुआती 2 चरणों के चुनाव में ही बीजेपी 100 का आंकड़ा पार कर चुकी है। उन्होंने पूरा भरोसा जताया कि इस बार '400 पार' का लक्ष्य पार कर लिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ये झूठ फैला रही है कि बीजेपी संविधान और आरक्षण को खत्म कर देगी। शाह ने कहा कि दो चरणों के चुनाव के बाद बीजेपी और उसके सहयोगी 100 सीटों के आंकड़े को पार चुके हैं। जनता के आशीर्वाद और समर्थन की बदौलत बीजेपी 400+ लोकसभा सीटों के लक्ष्य की तरफ बढ़ रही है।

16.63 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाले

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में बीते 19 अप्रैल को लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व की शुरुआत हुई। इस दिन पहले चरण का मतदान हुआ, जिसमें 66 फीसदी वोटिंग हुई है। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जिनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जम्मू और कश्मीर, लक्षद्वीप और पुदुचेरी की लोकसभा सीटें शामिल रहीं। इन सीटों पर बने 2 लाख मतदान केंद्रों पर 16.63 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने वोट डाले हैं।

चुनाव आयोग की कोशिश, अधिक हो मतदान

भाजपा के लिए राजस्थान के अलवर जैसे कुछ क्षेत्र जहां मतदान प्रतिशत कम हुआ है। मतदान प्रतिशत इसलिए कम हुआ है क्योंकि अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में गिरावट देखी गई है। हालांकि चुनाव आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने के तरीकों पर काम कर रहा है। चुनाव आयोग ने लोगों से बाहर निकलने और मतदान करने के लिए कह रहा है। आयोग हर चरण से पहले लोगों को मतदान करने के लिए प्रेरित करने वाली अपनी अपील में और तेजी लाएगा। आयोग पिछले लोकसभा चुनाव का रिकॉर्ड तोड़ने की प्लानिंग में है। हालांकि इस चुनावी मौसम में कुछ चिंताजनक बातें भी सामने आई हैं। बिहार एकमात्र राज्य है जहां इस चुनाव में 50% से अधिक मतदान हुआ है।

2024 में कम रहा,  2019 की तुलना में मतदान प्रतिशत

एक टेलीविजन द्वारा किये गये सर्वे में सामने आया है कि 2019 से 2024 तक मतदान प्रतिशत कम हुआ है। 2019 में मतदान प्रतिशत 70% था जो 2024 में घटकर 64% हो गया है। बीजेपी-एनडीए और विपक्षी गुट दोनों अब अगले चरण के लिए मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

लक्षद्वीप, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के वोटिंग प्रतिशत में गिरावट

लक्षद्वीप में 2019 और 2024 के मतदान प्रतिशत में सबसे अधिक अंतर देखा गया। 2019 में लक्षद्वीप में 85.2% मतदान हुआ जो घटकर 59% रह गया। वहीं, अरुणाचल प्रदेश में 2019 में वोटिंग प्रतिशत 82.1% था, 2024 में यह घटकर  67.7% रह गया है। यहां तक कि उत्तर पूर्वी राज्य नागालैंड में भी इस बार मतदान में गिरावट देखी गई, जबकि 2019 में मतदान प्रतिशत 83% था, हालांकि इस बार यह 56.6% रहा।

मणिपुर में भी कम रही वोटिंग

मणिपुर में भी ऐसी ही गिरावट देखने में आई है। राज्य में 2019 में 82.7% मतदान हुआ था, इस बार राज्य में 69.2% मतदान हुआ है। बिहार को छोड़कर सभी राज्यों में 50% से अधिक मतदान हुआ और यह लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत है, यह एक संकेत है कि भारतीय बाहर आ रहे हैं और मतदान कर रहे हैं और समझ रहे हैं कि उनका हर वोट मायने रखता है। हालांकि विपक्ष का मानना है कि यह कमी उनके लिए अच्छी नहीं होगी, उनका मानना है कि मतदान प्रतिशत कम होने का मतलब है कि लोग मौजूदा सरकार से असंतुष्ट नहीं हैं और यही कारण है कि वे बड़ी संख्या में अपने अधिकार का प्रयोग करने नहीं आए।

मतदान के आंकड़ों पर कांग्रेस ने उठाये सवाल

मतदान को लेकर जो आंकड़े पेश किये गये हैं उन पर कांग्रेस सवाल उठाये हैं। कांग्रेस का कहना है कि मतदान के दिन 9 बजे, 11 बजे, 1 बजे, 3 बजे, 5 बजे, 7 बजे तक अपडेट आता है। 19 अप्रैल की शाम 7 बजे जो मतदान हुआ उसमें 11 दिन बाद 6.07% की बढ़ोतरी कैसे हो गयी? 26 अप्रैल की शाम 7 बजे जो मतदान हुआ उसमें चार दिन बाद 5.75% की बढ़ोतरी कैसे हुई?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top