रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
अयोध्या उत्तर प्रदेश
अयोध्या के राम मंदिर में 5 साल के बालक के रूप में विराजमान रामलला ओरछा में हैं राजा राम।
जी हां, अयोध्या में एक 5 वर्षीय बालक के रूप में जहां रामलला की पूजा अर्चना की जाती है वहीं मध्य प्रदेश के ओरछा में राजा राम का शासन चलता है। इतना ही नहीं, ओरछा आने वाले किसी VVIP को सलामी नहीं दी जाती है लेकिन हर दिन राजा राम को गार्ड ऑफ ऑनर दी जाती है। ओरछा के राजा राम मंदिर की और भी कई विशेषताएं हैं, जिनके बारे में चलिए जानते हैं।
600 साल पुराना है ओरछा और राजा राम का रिश्ता
अयोध्या के कण-कण में बसने वाले रामलला का ओरछा से रिश्ता करीब 600 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि रामलला का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो लेकिन उनकी सरकार तो ओरछा में चलती है। इतिहासकारों का मानना है कि 16वीं सदी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवर गणेश श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लेकर आयीं थी।
ओरछा का राजा राम मंदिर एकमात्र ऐसी जगह है, जहां श्रीराम न तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रूप में पूजे जाते हैं और न ही वह किसी मंदिर में स्थापित हैं। बल्कि ओरछा में भगवान राम एक मनुष्य और राजा राम के रूप में भव्य महल में स्थापित हैं।
अयोध्या से ओरछा कैसे पहुंचे श्रीराम?
स्थानीय लोगों की मान्यताओं के अनुसार ओरछा के शासक मधुकरशाह श्रीकृष्ण और महारानी कुंवर गणेश श्रीराम की उपासक थीं। कहा जाता है कि एक बार दोनों के बीच अपने-अपने आराध्य को लेकर विवाद हो गया था। मधुकरशाह ने कुंवर गणेश को श्रीराम को अयोध्या से ओरछा लाने की शर्त दे दी। इसके बाद कुंवर अयोध्या पहुंची और 21 दिनों तक उन्होंने तपस्या की।
इसके बावजूद जब श्रीराम ने उन्हें दर्शन नहीं दिया तो दुःखी होकर कुंवर ने प्राण त्यागने के लिए सरयू नदी में छलांग लगा दी। उसी पल श्रीराम की बाल स्वरूप में एक सुन्दर मूर्ति नदी तल में ही रानी की गोद में प्रकट हो गया। रानी ने श्रीराम से ओरछा चलने का आग्रह किया। कहा जाता है कि तब प्रभु श्रीराम ने ओरछा जाने के लिए 3 शर्तें रखीं।
क्या थीं वो शर्तें?
श्रीराम ने ओरछा की कुंवर से जो शर्तें रखीं -
1. अयोध्या से ओरछा जाकर मैं जहां बैठूंगा वहां से फिर नहीं उठूंगा।
2. ओरछा में मैं राजा के रूप में विराजमान होउंगा और फिर किसी दूसरे की सत्ता यहां नहीं रहेगी।
3. मुझे पैदल एक पुण्य नक्षत्र में अयोध्या से ओरछा लेकर जाना होगा।
कब बना ओरछा का राजा राम महल?
मधुकर शाह ने ओरछा की बागडोर 1554 में संभाली। वह 1592 तक ओरछा के राजा रहे। इतिहासकारों का कहना है कि इसी दौरान ओरछा में राजा राम मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, चतुर्भुज मंदिर आदि का निर्माण हुआ था। कहा जाता है कि ओरछा जाने के लिए श्रीराम की शर्तों के अनुसार ही कुंवर गणेश ने उन्हें ओरछा में राजा राम बनाया और उन्हें किसी मंदिर में स्थापित न करके अपने महल में ही स्थापित किया।
क्या है ओरछा के राजा राम मंदिर की विशेषताएं?
दुनिया का एकमात्र मंदिर ओरछा का राजा राम मंदिर है, जहां सदियों से भगवान राम की पूजा राजा के रूप में होती है।
यहां श्रीराम कोई भगवान नहीं बल्कि मनुष्य राजा राम के रूप में विराजमान हैं।
ओरछा में श्रीराम का एकमात्र मंदिर है, जहां वह धनुष-बाण नहीं बल्कि तलवार और ढाल धारण करते हैं।
किसी भी दूसरे मंदिर में प्रतिष्ठा के बाद भगवान की मूर्ति को गर्भगृह से हटाया नहीं जाता है लेकिन राजा राम अपने महल के गर्भगृह से राजकाज संभालने के बाहर आते रहते हैं।
यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां सरकार की तरफ से राजा को हर दिन सूर्यास्त के बाद गार्ड ऑफ ऑनर दी जाती है, जो ओरछा में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी VVIP को भी नहीं दी जाती।
ओरछा के महल में राजा राम की फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।