रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली
चीन की आक्रामकता को काउंटर करने के लिए भारत तेजी से अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है। और इसी के तहत भारत ने साल 2021 में अपने तीसरे स्वदेशी परमाणु-संचालित आक्रमण पनडुब्बी (SSBN) को लॉन्च की थी।
लेकिन, अब लेटेस्ट सैटेलाइट तस्वीरों में समुद्र के अंदर भारत की ये एक्सटेंडेट पनडुब्बी देखी गई है, जिसका कोडनेम S-4 है, जिससे इस संभावना पर जोर दिया गया है, कि भारत सरकार ने चुपचाप, बिना किसी शोर शराबे के इसे भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया है।
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विशाखापत्तनम में स्थिति गुप्त जहाज निर्माण केंद्र (SCB) के बाहरी शुष्क डेक पर ली गई सैटेलाइट इमेजरी में एस-4 (तीसरा अरिहंत-श्रेणी एसएसबीएन) को अपने दो पूर्ववर्तियों पनडुब्बियों के साथ दिखाया गया है। इस तस्वीर में पनडुब्बी लॉंच ट्यूब दिखाई दे रही है और ये पनडुब्बी अपने साथ, पिछली पनडुब्बी की तुलना में दोगुनी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है।
भारत के S-4 पनडुब्बी में कितनी क्षमता
S-4 पनडुब्बी, 3500 किलोमीटर की रेंज वाली K-4 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है। K-4, पनडुब्बियों से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को कहा जाता है। और S4 पनडुब्बी में K-4 मिसाइलें लगाए जाने की उम्मीद है। भारत को समुद्र में लंबी दूरी की पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों की जरूरत रही है, क्योंकि इंडो-पैसिफिक का तनाव अब काफी बढ़ गया है।
फिलहाल, भारत के पास जो INS अरिहंत परमाणु पनडुब्बी है, वो K-15 मिसाइल से लैस है, जिसकी मारक क्षमता सिर्फ 750 किलोमीटर ही है, यानि, इस मिसाइल से भारत, चीन के ज्यादातर रणनीतिक इलाकों को निशाना नहीं बना सकता है। यहां तक की, पाकिस्तान के साथ संघर्ष की स्थिति में भी, भारतीय पनडुब्बियां पाकिस्तान के सिर्फ दक्षिणी हिस्से को ही निशाना बना सकती हैं।
लिहाजा, तीसरे परमाणु पनडुब्बी का भारतीय नौसेना में शामिल होना और K-4 मिसाइलों को ले जाने की उसकी क्षमता ने भारतीय नेवी की ताकत को काफी बढ़ा दिया है।