रिपोर्ट राजेश कुमार यादव इजराइल
Israel-Iran War: शुक्रवार (12 अप्रैल) को जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच ईरान अगले दो दिनों के भीतर इजरायल पर हमला कर सकता है और यहूदी देश, ईरानी खतरे से निपटने की तैयारी कर रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक अधिकारी का हवाला देते हुए ये रिपोर्ट दी है, जिसे ईरानी नेतृत्व ने जानकारी दी थी। ईरान के साथ इजराइल की सालों पुरानी दुश्मनी एक नए टकराव की ओर बढ़ रही है, जबकि यहूदी राष्ट्र पहले से ही गाजा में हमास के खिलाफ महीनों से युद्ध कर रहा है, जिसका फिलहाल कोई अंत नहीं दिख रहा है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने जिस अधिकारी के हवाले से ये दावा किया है, उसने ये भी कहा है, कि ईरान अभी भी इजराइल पर सीधे हमले के राजनीतिक जोखिमों का आकलन कर रहा है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के एक सलाहकार ने कहा है, कि "हमले की योजना से संबंधित फाइल सर्वोच्च नेता के सामने मौजूद है, और वह अभी भी राजनीतिक जोखिम का आकलन कर रहे हैं।"
बाइडेन ने दी कड़ी चेतावनी
दूसरी तरफ, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईरान के लिए एक संक्षिप्त, लेकिन कड़ी चेतावनी जारी की है। बाइडेन ने सिर्फ एक शब्द कहा है, 'Don't'.
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि बहुत उम्मीद है, कि ईरान हमला करेगा, जिससे क्षेत्रीय युद्ध की आशंका बढ़ जाएगी। लेकिन, मिडिल ईस्ट में अमेरिका भी फंसा हुआ नजर आ रहा है। गाजा युद्ध का 6 महीने से ज्यादा चलना भी अमेरिका के लिए परेशानी से भरा सबब है। अमेरिका दो परस्पर विरोधी प्राथमिकताओं में फंसा है, हालांकि वो गाजा युद्ध में इजराइल के लिए बिना शर्त समर्थन की पेशकश कर चुका है।
हालांकि, थिंक टैंक क्विंसी इंस्टीट्यूट के कार्यकारी उपाध्यक्ष ट्रिटा पारसी ने कहा, कि "बाइडेन एक ऐसे फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं, जो अब तक बिल्कुल विनाशकारी रहा है।" पारसी ने कहा, कि "बाइडेन को 1 अप्रैल को ईरानी दूतावास पर हमला करने, अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने और क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों को खतरे में डालने के लिए इजरायल को फटकार लगानी चाहिए थी।
लेकिन, बाइडेन प्रशासन ने ईरान के लिए खुला समर्थन जारी कर दिया है। अमेरिका ने सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला करने के लिए इजराइल की आलोचना नहीं की है, जिसमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के सात सदस्य मारे गए थे। हालांकि, व्हाइट हाउस ने फौरन इस हमले से दूरी बना ली और बयान जारी करते हुए कहा, कि "अमेरिका इसमें शामिल नहीं था।"
युद्ध छिड़ा तो क्या अमेरिका होगा शामिल?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकन डिप्लोमेट्स लगातार दुनियाभर के नेताओं बात कर रहे हैं, जिसमें ईरान से संयम बरतने को लेकर कोशिशें की जा रही हैं।
लेकिन, तनाव कम करने का आह्वान करने के बाद भी अमेरिकी अधिकारियों ने इजराइल को "आयरनक्लाड" देने की पुष्टि की है, जिससे वाशिंगटन और तेहरान के बीच सीधे टकराव की आशंका बढ़ गई है। राष्ट्रपति बाइडेन ने शुक्रवार को कहा, कि "हम इजराइल की रक्षा के लिए समर्पित हैं और हम इजराइल का समर्थन करेंगे। हम इजराइल की रक्षा में मदद करेंगे और ईरान कामयाब नहीं होगा।"
बाइडेन के साथ साथ पेंटागन और अमेरिकी विदेश विभाग ने भी कुछ ऐसे ही बयान दिए हैं। जिससे ये जाहिर है, कि इजराइल को फिलहाल हथियारों की मदद फौरन शुरू हो जाएगी, हालांकि गाजा की लड़ाई में भी हथियार मिल रहे थे, लेकिन अब उसकी मात्रा बढ़ जाएगी। इसके अलावा, जिन पश्चिमी देशों ने हथियारों की सप्लाई रोक दी थी, वो फिर से इजराइल के साथ हो जाएंगे।
दूसरी तरफ, ईरान बार बार इजराइल के खिलाफ एक्शन लेने की बात कर रहा है, लेकिन अभी तक उसने हमला करने की हिम्मत नहीं की है। ईरान जानता है, कि युद्ध शुरू होने के बाद इजराइल क्या-क्या कर सकता है और उसकी सबसे बड़ी चिंता अपने परमाणु संयंत्र को बचाने की होगी। एक्सपर्ट्स इस बात पर सहमत हैं, कि युद्ध की स्थिति में इजराइल, ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाएगा, जिससे ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम ध्वस्त हो सकता है।