रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
बाड़मेर
देश की हॉट सीट में से एक बाड़मेर में वोटिंग शुरू हो गई है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय है। वोटर्स में बूथ पर सबसे पहले वोट देने को लेकर जबदस्त उत्साह नजर आया। बूथ पर एंट्री के समय बुजुर्ग, युवा और महिलाएं दौड़ते नजर आए। सुबह मॉर्कपोल के बाद 7 बजे वोटिंग शुरू की गई। वोटर्स कविता का कहना है कि मैं पहली बार वोट दिया है। मैं खुशी है कि इस लोकतंत्र के पर्व में भी हिस्सेदार बनने का मौका मिला है। बाड़मेर शहर के गर्ल्स स्कूल में महिला बूथ बनाया गया है। इस बूथ को रंग -बिरंगे गुब्बारे से सजाया गया है।
बीजेपी प्रत्याशी कैलाश चौधरी ने बालोतरा शहर के समदड़ी रोड बूथ पर सुबह जल्दी वोटिंग की। वहीं उस बूथ पर भी पुरूष और महिलाओं की लाइनें लगी नजर आई। पुलिस चुनाव पर्यवेक्षक हेमराज राय ने रामूबाई स्कूल सहित अलग-अलग बूथों का निरीक्षण किया।
बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के कैलाश चौधरी सांसद हैं। वे मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। 2019 में उन्होंने यहां से कांग्रेस के मानवेंद्र सिंह को करीब 3 लाख से ज्यादा वोटों से पराजित किया था। कैलाश चौधरी केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण राज्यमंत्री भी बने। एक बार फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कैलाश चौधरी को टिकट देकर रिपीट किया है। कांग्रेस ने इस बार आरएलपी छोड़कर कांग्रेस में आए उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। इन दोनों को शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर टक्कर दे रहे हैं।
बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर करीब 22 लाख 6 हजार 237 मतदाता हैं, जो इस बार 11 कैंडिडेट के भाग्य का फैसला करेंगे। बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र में बाड़मेर, जैसलमेर और बालोतरा जिले के 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। बीते 4 माह में करीब 38606 वोटर्स नए जुड़े हैं।
बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर 11 प्रत्याशी मैदान में
2014 की तरह इस बार भी 11 प्रत्याशी, मुकाबला त्रिकोणीय
बाड़मेर सीट पर 2014 की तरह ही त्रिकोणीय मुकाबला है। मैदान में प्रत्याशी भी उतने ही है, जितने 11 प्रत्याशी 2014 में थे। वर्ष 2014 में कांग्रेस से हरीश चौधरी, भाजपा से कर्नल सोनाराम चौधरी व निर्दलीय जसवंतसिंह के बीच मुकाबला था। इस बार कांग्रेस से उम्मेदाराम बेनीवाल, भाजपा से कैलाश चौधरी और निर्दलीय रविंद्रसिंह भाटी मैदान में है।
संसदीय सीट पर वोटर
त्रिकोणीय मुकाबला
शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव में ताल ठोकने से चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। दरअसल, विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा रविंद्र सिंह भाटी को शिव विधानसभा का टिकट नहीं देने पर वे निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरे और चुनाव जीते। इसके बाद वे लोकसभा चुनाव में भी निर्दलीय खड़े हैं। 26 साल के चर्चित युवा चेहरे के मैदान में आने से कांग्रेस-बीजेपी दोनों को वे सीधा चैलेंज कर रहे हैं और मामला त्रिकोणीय हो गया है।