चुनाव आयोग वीवीपैट पर्ची की गणना कर फैसला सुना दे तो बीजेपी 40 का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी:-बहुजन महापार्टी महासचिव शम्सुद्दीन खान का दावा

A G SHAH . Editor in Chief
0


आज देश में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानों की आत्महत्या और गरीबों के खिलाफ अन्याय काफी बढ़ गया है और ऐसे में बीजेपी ने जो अब की बार 400 पार का नारा दिया है, वह आज किसी भी पार्टी के लिए संभव नहीं है देश में 400 सीटें पाने के लिए. कई सालों से यह आरोप लगता रहा है कि ईवीएम में सेटिंग करके फैसले के नतीजे बदल दिए जाते हैं, इसलिए देश के लोगों के मन में ईवीएम को लेकर भ्रम की स्थिति है। ईवीएम और वीवीपैट के संबंध में हम बताना चाहेंगे कि 2017 में बहुजन महापार्टी की स्थापना के बाद हमने उत्तर प्रदेश में पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें ईवीएम मशीन के माध्यम से ही चुनाव हुआ था, लेकिन हमारे परिवार के लोगों ने हमें वोट दिया परिणाम में दिखाई नहीं दे रहा है, इसलिए जैसा कि हमारे उम्मीदवार ने शिकायत दर्ज करने के लिए कहा, हमने बहुजन महापार्टी की ओर से माननीय राष्ट्रपति और माननीय केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर ईवीएम परिणाम पर आपत्ति जताई सभी चुनाव ईवीएम और वीवीपैट के माध्यम से कराने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका संख्या 8187/2017 दायर की गई थी और मई कोर्ट में पारदर्शी चुनाव कराने का अनुरोध किया गया था, इस बारे में सरकारी कार्यालय के बाहर बोर्ड लगाया जाएगा. केंद्रीय चुनाव आयोग ने वीवीपैट मशीनें खरीदने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किए हैं और देश के सभी बूथों के लिए जरूरी ईवीएम और वीवीपैट मशीनें खरीदी हैं। वीवीपैट मशीन खरीदने के पीछे एकमात्र उद्देश्य पारदर्शी चुनाव और पारदर्शी परिणाम देना था लेकिन चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि चुनाव आयोग वीवीपैट पर्चियों की गिनती क्यों नहीं कर रहा है? चुनाव आयोग किसके दबाव में है? यदि पारदर्शी चुनाव होंगे और पारदर्शी निर्णय होंगे तो लोकतंत्र मजबूत होगा और देश की जनता का चुनाव आयोग पर विश्वास बढ़ेगा। इसलिए मेरा सभी पत्रकार बंधुओं से अनुरोध है कि वे चुनाव अधिकारी यानी कलेक्टर से इस बारे में पूछें अगर वीवीपैट पर्ची की गिनती की जाए तो समस्या क्या है? आज देश की जनता के मन में ईवीएम को लेकर संदेह है, अधिकतर लोगों का आरोप है कि जिस व्यक्ति को चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन बनाने का ठेका दिया है, वह भाजपा पार्टी का पदाधिकारी है कि ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ कर परिणाम बदला जा सकता है। चुनाव आयोग ने वीवीपैट मशीन लगाने में करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, फिर भी इसका इस्तेमाल वोटों की गिनती में क्यों नहीं किया जा रहा है? जब फैसले सिर्फ ईवीएम मशीनों की गिनती से होते हैं तो 500 करोड़ रुपये खर्च कर वीवीपैट मशीनें क्यों खरीदी गईं? सभी दलों के लोगों ने ईवीएम मशीन से घोषित किये जाने वाले फैसले का विरोध किया है. सभी देशवासियों की भावना है कि देश में पारदर्शी चुनाव हों, इसलिए यदि केंद्रीय चुनाव आयोग वीवीपैट पर्ची की गणना कर निर्णय सुनाये तो यह स्पष्ट हो जायेगा कि चुनाव पारदर्शी हो गये हैं। वीवीपैट पर्ची की गणना के बाद निर्णय घोषित करने में लगभग 5 से 6 दिन लगेंगे और इस परिणाम पर कोई भी आपत्ति नहीं कर सकता है। चूंकि सरकार वीवीपैट पर्चियों की गिनती के लिए एक भी अतिरिक्त रुपया खर्च नहीं करेगी, इसलिए हमारी मांग है कि केंद्रीय चुनाव आयोग इस संबंध में सभी संबंधित कलेक्टरों यानी चुनाव रिटर्निंग अधिकारियों को उचित आदेश दे और इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की क्या भूमिका है वीवीपैट पर्चियों की गिनती में बहुजन महापार्टी के महासचिव शम्सुद्दीन खान ने कहा है कि इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top