जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के भौकाली अध्यक्ष के खिलाफ कैंट थाने में दर्ज हुआ दूसरा मुकदमा

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

गोरखपुर। जर्नलिस्ट प्रेस क्लब के टेलरबाज  भवकाल से आवाज दबाने वाले भवकाली अध्यक्ष मारकंडे मणि त्रिपाठी के ऊपर तीन दिनों में दो मुकदमे कैंट थाने में किए गए दर्ज। गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य दुर्गेश यादव पत्रकार अमित ओझा के आवाजों को दबाने वाले भौकाली बाबा के ऊपर कैंट थाने में दूसरा मुकदमा किया गया दर्ज पहला मुकदमा 6 मार्च को दुर्गेश यादव ने 147 323 504 506 के तहत भौकाली बाबा के ऊपर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराया था दूसरा मुकदमा आज अमित ओझा ने कैंट थाने में 323 506 कैंट थाने में दर्ज कराया । विवादित अध्यक्ष मार्कंडेय मणि त्रिपाठी के खिलाफ कैंट थाने में  अब तक 3 दिनों में 2 मुकदमे दर्ज किए गए है।इसमें गौर करने वाली बात ये है कि दोनों ही मामले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालो को विवादित अध्यक्ष ने प्रेस क्लब में मार पीटा साथ ही भविष्य में आवाज न उठाने की भी सख्त हिदायत दी।एक तरफ जहां अमित ओझा को अवैध अस्पतालों की न्यूज चलाने के संबंध में अपने चैंबर में बुलाकर मेडिकल माफिया के साथ मिलकर मारा पीटा गया तो वही दूसरी और वरिष्ठ पत्रकार गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब कार्यकारिणी सदस्य दुर्गेश यादव ने अपने वार्षिक सदस्यों की आवाज बुलंद करने के लिए अध्यक्ष द्वारा लिए गए नवीनीकरण के नाम पर पैसे से अभी तक नवीनीकरण न कराए जाने पर बार-बार पत्रकारों के ग्रुप में पूछने पर कब तक वार्षिक सदस्यों का नवीनीकरण कराया जाएगा सहित आय  व्यय का समय से अध्यक्ष द्वारा हिसाब ना देने को बार-बार पूछने पर अध्यक्ष को नागवार लगा और अपने कार्यकारिणी सदस्य के ऊपर ही अपने सहयोगी जगदंबा त्रिपाठी सहित  अन्य  पांच छ लोगों के साथ मिलकर जानलेवा हमला कर दिया गया था जो विवादित अध्यक्ष मारकंडे मणि त्रिपाठी सदैव एक छत्र राज कायम करते हुए भौकाल बनाते हुए अपना हुकुम चलाते  थे कोई पत्रकार उनके खिलाफ बोलने की हिकामत नहीं करता था अगर कोई बोलता था  तो उसके आवाज की भौंकाल से दबा दिया जाता था अब आवाज उठाने वाले दुर्गेश अमित के आवाज को धमकी देकर  मार पीट  कर दबाने की कोशिश किया गया जिसमें अध्यक्ष नाकाम रहे आगे भी उनके गलत नीतियों के खिलाफ सदैव आवाज उठाते रहेंगे क्योंकि प्रेस क्लब पर किसी मद से  आने वाला पैसा हर पत्रकार साथियों का होता है जिससे वह किसी के सुख-दुख में काम आ सके दुर्गेश यादव जैसे तमाम पत्रकार अपने हक की लड़ाई के लिए आवाज बुलंद करते रहेंगे। जब तक  वार्षिक सदस्यों का नवीनीकरण नही किया जाता और हर महीने आय  व्यय का हिसाब हर पत्रकारों को जानने का आधिपत्य अधिकार है पत्रकार साथी हर महीने हिसाब लेते रहेंगे। उनके आवाजों को कोई किसी भी तरीके से दवा नहीं सकता क्योंकि वह कलम के सिपाही अपने कलम से उनको कुचलने का काम करेंगे

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