स्वर्ग और नरक

A G SHAH
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राजेश कुमार यादव की कलम से

एक बुजुर्ग औरत मर गई, यमराज लेने आये।औरत ने यमराज से पूछा, आप मुझे स्वर्ग ले जायेगें या नरक।

यमराज बोले दोनों में से कहीं नहीं।

तुमनें इस जन्म में बहुत ही अच्छे कर्म किये हैं, इसलिये मैं तुम्हें सीधे प्रभु के धाम ले जा रहा हूं।

बुजुर्ग औरत खुश हो गई, बोली धन्यवाद, पर मेरी आपसे एक विनती है। मैनें यहां धरती पर सबसे बहुत स्वर्ग - नरक के बारे में सुना है मैं एक बार इन दोनों जगहो को देखना चाहती हूं। यमराज बोले तुम्हारे कर्म अच्छे हैं, इसलिये मैं तुम्हारी ये इच्छा पूरी करता हूं। चलो हम स्वर्ग और नरक के रस्ते से होते हुए प्रभु के धाम चलेगें। दोनों चल पडें, सबसे पहले नरक आया। नरक में बुजुर्ग औरत ने जो़र जो़र से लोगो के रोने कि आवाज़ सुनी। वहां नरक में सभी लोग दुबले पतले और बीमार दिखाई दे रहे थे।

औरत ने एक आदमी से पूछा यहां आप सब लोगों कि ऐसी हालत क्यों है। आदमी बोला तो और कैसी हालत होगी, मरने के बाद जबसे यहां आये हैं, हमने एक दिन भी खाना नहीं खाया। भूख से हमारी आत्मायें तड़प रही हैं। बुजुर्ग औरत कि नज़र एक विशाल पतीले पर पडी़, जो कि लोगों के कद से करीब 300 फूट ऊंचा होगा, उस पतीले के ऊपर एक विशाल चम्मच लटका हुआ था। उस पतिले में से बहुत ही शानदार खुशबु आ रही थी। बुजुर्ग औरत ने उस आदमी से पूछा इस पतीले में क्या है। आदमी मायूस होकर बोला ये पतीला बहुत ही स्वादिष्ट खीर से हर समय भरा रहता है। बुजुर्ग औरत ने हैरानी से पूछा, इसमें खीर है,तो आप लोग पेट भरके ये खीर खाते क्यों नहीं, भूख से क्यों तड़प रहें हैं। आदमी रो रो कर बोलने लगा, कैसे खायें,ये पतीला 300 फीट ऊंचा है हममें से कोई भी उस पतीले तक नहीं पहुँच पाता। बुजुर्ग औरत को उन पर तरस आ गया सोचने लगी, बेचारे खीर का पतीला होते हुए भी भूख से बेहाल हैं। शायद ईश्वर नें इन्हें ये ही दंड दिया होगा, यमराज बुजुर्ग औरत से बोले चलो हमें देर हो रही है।

दोनों चल पडे़, कुछ दूर चलने पर स्वर्ग आया। वहां पर बुजुर्ग औरत को सबकी हंसने,खिलखिलाने कि आवाज़ सुनाई दी। सब लोग बहुत खुश दिखाई दे रहे थे। उनको खुश देखकर बुजुर्ग औरत भी बहुत खुश हो गई। पर वहां स्वर्ग में भी बुजुर्ग औरत कि नज़र वैसे ही 300 फूट उचें पतीले पर पडी़ जैसा नरक में था, उसके ऊपर भी वैसा ही चम्मच लटका हुआ था। बुजुर्ग औरत ने वहां लोगो से पूछा इस पतीले में क्या है।

स्वर्ग के लोग बोले कि इसमें बहुत टेस्टी खीर है। बुजुर्ग औरत हैरान हो गई,उनसे बोली पर ये पतीला तो 300 फीट ऊंचा है। आप लोग तो इस तक पहुँच ही नहीं पाते होगें, उस हिसाब से तो आप लोगों को खाना मिलता ही नहीं होगा, आप लोग भूख से बेहाल होगें। पर मुझे तो आप सभी इतने खुश लग रहे हो, ऐसे कैसे, लोग बोले हम तो सभी लोग इस पतीले में से पेट भर के खीर खाते हैं,औरत बोली पर कैसे,पतीला तो बहुत ऊंचा है। लोग बोले तो क्या हो गया पतीला ऊंचा है तो ,यहां पर कितने सारे पेड़ हैं, ईश्वर ने ये पेड़ पौधे, नदी, झरने हम मनुष्यों के उपयोग के लिये तो बनाईं हैं। हमनें इन पेडो़ कि लकडी़ ली, उसको काटा, फिर लकडियों के टूकडो़ को जोड़ के विशाल सीढी़ का निर्माण किया। उस लकडी़ की सीढी़ के सहारे हम पतीले तक पहुंचते हैं और सब मिलकर खीर का आंनद लेते हैं, बुजुर्ग औरत यमराज कि तरफ देखने लगी । यमराज मुस्काये बोले:-ईश्वर ने स्वर्ग और नरक मनुष्यों के हाथों में ही सौंप रखा है, चाहें तो अपने लिये नरक बना लें, चाहे तो अपने लिये स्वर्ग, ईश्वर ने सबको एक समान हालातो में डाला हैं। उसके लिए उसके सभी बच्चें एक समान हैं, वो किसी से भेदभाव नहीं करता। वहां नरक में भी पेेड़ पौधे सब थे, पर वो लोग खुद ही आलसी हैं, उन्हें खीर हाथ में चाहिये,वो कोई कर्म नहीं करना चाहते, कोई मेहनत नहीं करना चाहते, इसलिये भूख से बेहाल हैं, क्योंकि ये ही तो ईश्वर कि बनाई इस दुनिया का नियम है, जो कर्म करेगा, मेहनत करेगा, उसी को मीठा फल खाने को मिलेगा। स्वर्ग और नरक आपके हाथ में है,मेहनत करें, अच्छे कर्म करें और अपने जीवन को स्वर्ग बनाएं।

सदैव प्रसन्न रहिये।

जो प्राप्त है, वो पर्याप्त है।

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