तैरते हुए श्रीलंका से भारत पहुंचेगा गाजियाबाद का युवक : भगवान श्रीराम के लिए पानी में तय करेंगे 32 किलोमीटर का सफर, पढ़ें खास खबर -

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

गाजियाबाद : दुहाई निवासी शाश्वत शर्मा श्रीलंका के तल्लीमनार से भारत के रामेश्वरम (धनुष कोटि) तक 32 किमी समुद्र को तैरकर पार करने का फैसला लिया है। इस मुश्किल भरी चुनौती को पार करने के लिए उन्होंने कुछ समय पहले एक प्रण लिया था। जिसके बाद अब इसे पूरा करने के लिए वह 14 अप्रैल को श्रीलंका से समुद्र की यात्रा शुरु करने जा रहे हैं।

कौन है शाश्वत शर्मा

दिल्ली-मेरठ मार्ग पर दुहाई स्थित आरडी इंजीनियरिंग कॉलेज पहुंचे शाश्वत शर्मा ने बताया कि उन्होंने काफी समय पहले वचन लिया था कि जब भगवान श्रीराम की अयोध्या में उनकी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी तो वह इस यात्रा को पूरा करेंगे। उन्होंने बताया कि वह 14 अप्रैल को श्रीलंका के तल्लीमनार से भारत के रामेश्वरम (धनुष कोटि) तक 32 किमी समुद्र को तैरकर पार करेंगे। आपको बता दें कि गाजियाबाद के शाश्वत शर्मा अमेरिका में एक करोड़ रुपये के पैकेज पर एक कंपनी में कार्यरत है। शाश्वत को बचपन से ही तैराकी का शौक है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है।

सुरक्षित यात्रा की तैयारी तेज

शाश्वत ने बताया कि वह पूरी सुरक्षा के साथ श्रीलंका और भारत के बीच समुद्र को पार करने जा रहे हैं। इस दौरान उनके साथ तीन नाव, दस नाविक और सुरक्षा बलों का दस्ता साथ रहेगा। इस यात्रा की अनुमति की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। शाश्वत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैराकी में कई पदक जीत चुके है। कॉलेज के चेयरमैन  उनके पिता राकेश शर्मा ने बताया कि शाश्वत के इस निर्णय से पूरा परिवार उनके साथ है। इस कठिन चुनौती को भी पार कर लेंगे। उन्होंने बताया कि ववह 32 किमी की यात्रा को 10 घंटे में पूरा करेंगे।

श्री राम में आस्था

शाश्वत शर्मा ने बताया कि वे सनातनी ब्राह्मण हैं। बचपन से ही भगवान श्रीराम और हनुमान जी में अटूट आस्था रखते हैं। वह जब अपने तैराकी के शुरुआती दौर में थे, तब से ही अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर निर्माण की बाते सुन रहे थे। उनके मन में भगवान श्री राम के आदर्शों को अपने जीवन में सात्कार करना चाहते थे। जब सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से अयोध्या में भगवान श्री राम की भव्य मंदिर की स्थापना का निर्णय आया तो मैने भी यह निर्णय लिया, "मैं इस दुर्गम रास्ते को तैरकर पार करूंगा। मेरी यह यात्रा श्रीराम के लिए समर्पित है और सभी सनातनियों को संगठित होने का आवाहन करता हूं। भारत के सभी सनातनी हिन्दू इस यात्रा से अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेगें।"

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