रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली
टाटा ग्रुप ने भारतीय सेना की मदद के लिए एक सैटेलाइट का निर्माण किया है। इसका उपयोग सशस्त्र बलों द्वारा गुप्त जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाएगा। यह भारत का पहला ऐसा मिलिट्री ग्रेड स्पाई सैटेलाइट है, जिसे प्राइवेट सेक्टर ने तैयार किया है।
इसे अप्रैल महीने में लॉन्च किया जाएगा। यह सैटेलाइट एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के रॉकेट से लॉन्च होगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस सैटेलाइट का काम पिछले सप्ताह पूरा हो गया था। अब लॉन्चिंग के लिए इसे जल्द ही फ्लोरिडा भेजा जाएगा।
इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस सैटेलाइट को टाटा समूह की कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने तैयार किया है। इसे पिछले सप्ताह पूरी तरह से तैयार किया गया। अब इस सैटेलाइट के लिए ग्राउंड स्टेशन बनाने का काम भी पूरा होने वाला है। ग्राउंड स्टेशन से ही स्पाई सैटेलाइट को कंट्रोल किया जाएगा और सब-मीटर रिजॉल्यूशन को प्रोसेस किया जाएगा।
इन क्षमताओं से है लैस
TASL ने लैटिन अमेरिकी कंपनी सैटेलॉजिक के साथ पार्टनरशिप में इस सैटेलाइट को तैयार किया है। यह सैटेलाइट 0.5 मीटर तक के रिजॉल्यूशन में तस्वीरें निकाल सकता है। इससे सेना को बॉर्डर की निगरानी करने और स्ट्रेटजिक टारगेट तय करने में मदद मिलेगी।
पूरी होंगी सेना की जरूरतें
चीन के साथ एलएसी पर तनाव बढ़ने के बाद सेना की बॉर्डर की निगरानी की जरूरतें बढ़ गई हैं। सेना द्वारा विदेशी संस्थाओं से इमेजरी खरीद में काफी बढ़ोतरी हुई है। अभी सेना को सैटेलाइट इंटेलीजेंस के लिए अमेरिकी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है।
हालांकि इसरो के पास भी सब-मीटर रिजॉल्यूशन सैटेलाइट हैं, लेकिन कई बार वे सेना की जरूरतों के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो पाते हैं, क्योंकि सेना को अक्सर बड़े कवरेज की जरूरत होती है और कई बार जरूरत अर्जेंट होती है। ऐसे में इस सैटेलाइट से सेना की विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी और तत्काल डेटा उपलब्ध हो सकेगा।
भारत में रहेगा ग्राउंड कंट्रोल
TASL प्रोग्राम का यूनीक पहलू यह है कि ग्रांउड कंट्रोल भारत में रहेगा, जो आर्म्ड फोर्सेस द्वारा निगरानी के लिए आवश्यक कोर्डिनेट्स की सिक्रेसी को सक्षम करेगा। इससे पहले मॉनिटरिंग के लिए एग्जैक्ट कोर्डिनेट्स और टाइम फॉरेन वेंडर्स के साथ शेयर करना पड़ता था।
बेंगलूर में बन रहा कंट्रोल सिस्टम
इस सैटेलाइट को कंट्रोल करने के लिए बेंगलुरू में कंट्रोल सेंटर बनाया जा रहा है। कंट्रोल सेंटर से ही सैटेलाइट को रास्ता दिखाया जाएगा। उसके साथ-साथ सेना को बॉर्डर समेत अन्य निगरानी करने या टारगेट लॉक करने के लिए जरूरी तस्वीरों को भी कंट्रोल सेंटर में प्रोसेस किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सैटेलाइट मित्र देशों के भी काम आ सकता है।
अपने प्राइमरी डिफेंस रोल के साथ, सैटेलाइट इमेजरी को मित्र देशों को भी निर्यात किया जा सकता है। जानकारी के अनुसार कुछ देशों की ओर से ऑर्डर के लिए TASL से संपर्क किया गया है। बेंगलुरु प्लांट एक वर्ष में 25 ऐसे लो अर्थ सैटेलाइट का प्रोडक्शन कर सकता है।