कांग्रेस ने मेरे पापा को दान में नहीं दिया', प्रणब मुखर्जी की बेटी ने गांधी-नेहरू फैमिली को क्यों लपेटा

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस की मौजूदा विचारधार पर सवाल उठाया है. कांग्रेस की पूर्व नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस या गांधी-नेहरू परिवार ने प्रणब मुखर्जी को दान में कोई पद नहीं दिया है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उस बयान के एक दिन बाद यह टिप्पणी की, जब एक दिन पहले उन्होंने कहा था कि निश्चित रूप से अब समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक एक कमेंट के जवाब में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा, ‘कांग्रेस या गांधी-नेहरू परिवार ने मेरे पापा को दान में कोई पद नहीं दिया. उन्होंने इसे अर्जित किया और इसके हकदार थे. क्या गांधी परिवार के लोग उन सामंतों की तरह हैं, जिनसे उम्मीद की जाती है कि उन्हें चार पीढ़ियों तक श्रद्धांजलि दी जाएगी?’ शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए सवाल किया और आगे लिखा, ‘वैसे वर्तमान कांग्रेस पार्टी की विचारधारा क्या है? चुनाव से ठीक पहले शिवभक्त बन रहे हैं?.

शर्मिष्ठा ने क्या सलाह दी

इससे पहले सोमवार को राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी को आत्मनिरीक्षण का सुझाव देते हुए पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को यहां पुरजोर शब्दों में कहा कि निश्चित रूप से अब समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखे. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोमवार को जयपुर में 17वें जयपुर लिट फेस्टिवल से इतर कहा कि लोकसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या भले ही कम हो गई है, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में बहुत मजबूत उपस्थिति है, क्योंकि वह देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है. कांग्रेस की तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक में सरकार में है.

कांग्रेस को क्या करना चाहिए?

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा,’ कांग्रेस अभी भी मुख्य विपक्षी दल है. उसका स्थान निर्विवाद है. लेकिन इस उपस्थिति को कैसे मजबूत करना है? ये सवाल है. लेकिन इस पर विचार करना कांग्रेस नेताओं का काम है.’ शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीति निर्णय की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ”कोई जादू की छड़ी नहीं है. ये कांग्रेस नेताओं को देखना है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए कैसे काम करना है.’

कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण की जरूरत

नेतृत्व के सवाल पर शर्मिष्ठा ने कहा, ‘इसका जवाब कांग्रेस नेताओं को देना है. लेकिन एक कांग्रेस समर्थक और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मुझे पार्टी की चिंता है. और निश्चित रूप से समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखा जाए.’ कांग्रेस समर्थक होने के नाते पार्टी से अपेक्षाओं को लेकर शर्मिष्ठा ने कहा, ‘कांग्रेस यह आत्मनिरीक्षण करे कि क्या वह सही मायने में आज पार्टी की विचारधारा को आगे ले जा रही है? बहुलवाद , धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता, समावेशिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जो कांग्रेस के मूल में रहे हैं, क्या व्यवहार में उनका अनुसरण किया जा रहा है? … इन सवालों पर कांग्रेस को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि क्या आज वह सही मायने में पार्टी की विचारधारा के इन मूल सिद्वांतों को बरकरार रखे हुए है या नहीं. यही मेरा उनसे सवाल है.’

कांग्रेस को क्या-क्या सलाह

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के संबंध में उन्होंने कहा, ‘उन्हें अपने मुद्दे सुलझाने की जरूरत है, जैसे सीट बंटवारे का मुद्दा आदि, लेकिन आम चुनाव तक क्या यह गठबंधन बचा रहेगा, मैं इसका जवाब नहीं दे सकती. जहां तक नेतृत्व का सवाल है, गठबंधन में बहुत से वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें स्वयं सुलझाना चाहिए. मैं इसका जवाब नहीं दे सकती.’ राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी का तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा विरोध किए जाने के प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होंने जेएलएफ के एक सत्र में कहा कि यह उनके पिता के लिए हमेशा एक रहस्य ही बना रहा. उन्होंने अपनी किताब ‘प्रणब माई फादर : ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में लिखा है कि प्रणब मुखर्जी के साथ ममता बनर्जी के संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण थे, लेकिन उन्हें यह जानकार हैरानी हुई थी कि उनकी उम्मीदवारी का विरोध ममता ने किया. इसके पीछे वह (प्रणब) संभवत: पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के उस चुनाव को वजह मानते थे, जिसमें ममता बनर्जी के मुकाबले सोमेन मित्रा जीत गए थे. अपनी इस हार के लिए ममता प्रणब मुखर्जी को जिम्मेदार मानती थीं. दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सितंबर 2021 में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की थी. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया था कि वह कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य बनी रहेंगी.

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