रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
बाड़मेर: मारवाड़ में जीरे की महक लगातार कमजोर होती जा रही है। जीरे की फसल में अनेक रोग होने से किसानों को बड़ा नुकसान होने लगा है, जिससे वे मायूस नजर आ रहे हैं। अब किसान रोगग्रस्त कच्ची फसलों को एकत्रित करने लगे हैं। जिस उत्साह के साथ किसानों ने जीरा की बुवाई की वो उत्साह रोग प्रकोप में ठंडा कर दिया।
झुलसा रोग बढ़ा:
जीरा फसल में इस समय झुलसा और चर्म रोग कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इससे जीरा फसल पकने से पहले ही जलने लगी है। मोयला, छाछिया रोग भी घर करने लगा है। एक ही फसल पर अनेक रोग होने से किसान परेशान है। रोग से बचाव को लेकर किसान बाजार से महंगे दाम की दवाइयां खरीदकर छिड़काव कर रहे हैं लेकिन रोग थमने का नाम नहीं ले रहा है। फसल बर्बाद होने का खतरा:
कच्ची फसल एकत्रित करने-रोग प्रकोप से जीरे की फसल नष्ट होने लगी है। बढ़ते रोग को देखते किसान रोगग्रस्त फसल को एकत्रित करने लगे है। साथ की किसान पकने के मुंहाने खड़ी कच्ची फसल की कटाई भी करने लगे हैं। किसानों का मानना है कि अधपकी फसल से कुछ उत्पादन मिल सकता है। अन्यथा पूरी फसल ही बर्बाद हो जाएगी। भावों में उतार:
जीरे के भाव इस बार आसमान छूने से किसानों ने उत्साह के साथ इस बार बड़ी मात्रा में जीरा फसल को बुवाई की। बुवाई के समय किसानों ने एक हजार से लेकर 12 सौ रुपए प्रतिकिलों जीरा बीज की खरीद कर बुवाई की। अब जीरे के भाव भी अर्श से फर्श पर आ चुके है। चार माह पूर्व 60 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाले जीरे के भाव अब 25 से 30 हजार के बीच पहुंच चुके हैं। करीब आधी कीमत टूटने का भी किसानों को नुकसान होगा।
जीरा फसल में झुलसा, मोयला, छाछिया सहित अनेक रोग होने से फसल प्रभावित होने लगी हैं। विभाग की ओर से किसानों को रोकथाम के उपाय की जानकारी दी गई है।
- दूदाराम बारूपाल सहायक कृषि अधिकारी