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ब्रह्मोस, आकाश, तेजस.. 85 देशों तक फैली भारत की डिफेंस इंडस्ट्री, किन विध्वंसक हथियारों की करता है

राजेश कुमार यादव की कलम से

डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर भारत लगातार आगे बढ़ रहा है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नई दिल्ली लगातार हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, जबकि भारत ने पिछले कुछ सालों में कई हथियारों की खरीददारी बंद कर दी है, जबकि कई हथियारों के आयात में कटौती की गई है।

साल 2024-25 के सलाना डिफेंस बजट में हथियारों के बेचने के लक्ष्य को सरकार ने बढ़ा दिया है और अब भारत सरकार का नया लक्ष्य इस साल 35 हजार करोड़ रुपये के हथियार बेचना है। डिफेंस मिनिस्ट्री के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश के रक्षा निर्यात ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है और करीब 16,000 करोड़ रुपये का निर्यात किया है।

भारतीय रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल कहा था, कि भारतीय डिजाइन और हथियार निर्यात में 23 गुना की वृद्धि हुई है और अब भारतीय हथियार और डिजाइन दुनिया के 85 देशों में पहुंच रहे हैं।

आइए एक नजर डालते हैं कि भारत ने अपने रक्षा निर्यात को कैसे बढ़ाया है?

कैसे बढ़ रहा भारत का हथियार एक  रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले कुछ सालों में मिसाइलें, तोप में इस्तेमाल होने वाले गोले, रॉकेट, बख्तरबंद वाहन, अपतटीय गश्ती जहाज, व्यक्तिगत सुरक्षा गियर, विभिन्न रडार, सर्विलांस सिस्टम और गोला-बारूद के निर्यात को बड़े स्तर पर बढ़ाया है।

रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान, इजराइल और ब्राजील सहित 34 देशों को बुलेट-प्रूफ जैकेट निर्यात किए हैं। जबकि, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मिस्र, इंडोनेशिया और थाईलैंड सहित करीब 10 देशों ने भारत से गोला-बारूद (5.56 मिमी से 155 मिमी के बीच) खरीदा है।

वहीं, भारत के डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स का अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस ने अधिग्रहण किया है, जबकि भारत ने मॉरीशस, सेशेल्स और मालदीव को फास्ट इंटरसेप्टर नौकाओं का निर्यात किया है।

आकाश और तेजस को लेकर बातचीत

पिछले साल दिसंबर में, भारत की सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने कहा था, कि वह अपने स्वदेशी तेजस मल्टीरोल लड़ाकू जेट बेचने के लिए कम से कम तीन देशों के साथ बातचीत कर रही है। डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक, एचएएल के मुख्य प्रबंध निदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने उस समय कहा था, कि नाइजीरिया के साथ बातचीत शुरुआती चरण में है, लेकिन अर्जेंटीना को 15 और मिस्र को 20 हल्के लड़ाकू विमान बेचने की कोशिशें एडवांस स्तर पर हैं।

फिलीपींस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया ने भी सिंगल इंजन मल्टी-रोल फाइटर जेट तेजस एलसीए में अपनी दिलचस्पी दिखाई हैं।

वहीं, आर्मीनिया, सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल (एसएएम) को खरीदने वाला प्रमुख देश है। वहीं, स्पुतनिक न्यूज के मुताबिक, अजरबैजान के साथ जारी संघर्ष के बीच भारत लगातार आर्मीनिया को आकाश मिसाइल के साथ साथ और भी दूसरे हथियारों की सप्लाई कर रहा है।

जबकि, इकोनॉमिक टाइम्स ने पिछले दिसंबर में रिपोर्ट दी थी, कि नई दिल्ली आर्मीनिया को स्वदेशी आकाश एंटी-एयर सिस्टम भी निर्यात करेगी। भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित इस सिस्टम की डिलीवरी, 6 हजार करोड़ रुपये के सौदे का हिस्सा है।

सितंबर 2022 में, भारत ने आर्मीनिया को पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (एमबीआरएल), एंटी-टैंक मिसाइल, रॉकेट और गोला-बारूद सहित कई हथियार निर्यात करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पिछले साल अगस्त से भारत ने आर्मीनिया को एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम्स (एटीएजीएस) की सप्लाई भी शुरू कर दी है।

फिलीपींस और वियतनाम से भी करार

इसके अलावा, भारत ने वियतनाम और फिलीपींस को भी आकाश मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली बेचने की पेशकश की है, जबकि मिस्र ने भी आकाश मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम में अपनी दिलचस्पी दिखाई है। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली ने वियतनाम को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें, वरुणास्त्र (जल हथियार) पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो और तटीय रडार की भी पेशकश की है।

जनवरी में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख समीर वी कामत ने कहा था, कि भारत मार्च तक फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की डिलीवरी शुरू कर देगा।

डिफेंस एक्सपोर्ट और इंपोर्ट क्या है?

रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के रक्षा निर्यात में हाल के वर्षों में तेज वृद्धि देखी है। साल 2013-14 और 2022-23 के बीच 23 गुना उछाल दर्ज किया गया है। 2013-14 में भारत ने सिर्फ 686 करोड़ रुपये के हथियार बेचे थे, जबकि 2022-23 में भारत ने 15,918 करोड़ रुपये के हथियारों का निर्यात किया है।

इस दौरान, भारत ने हथियारों की खरीददारी भी कर दिया है, जो 2018-19 में 46 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2022 में 36.7 प्रतिशत हो गया है। पिछले छह सालों में भारत का रक्षा निर्यात दस गुना बढ़ गया है। हालांकि, भारत अभी भी अगले साल तक 35,000 करोड़ रुपये के वार्षिक निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य से काफी दूर है।

इसके अलावा, भारत अभी भी दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बना हुआ है और SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अभी भी रूस से सबसे ज्यादा 45 प्रतिशत तक हथियार खरीद रहा है। 2018 और 2022 के बीच फ्रांस, अमेरिका की जगह भारत के दूसरे सबसे बड़े हथियार आयातक के रूप में उभरा है।

भारत ने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें हथियारों के आयात पर चरणबद्ध प्रतिबंध भी शामिल है। इसका लक्ष्य 2025 तक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में 1.75 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करना है। हालांकि, भारत फिलहाल अपने लक्ष्य से काफी दूर है, लेकिन अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा हैं l

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