साधना सिंह एडवोकेट विधि संवाददाता वाराणसी की कलम से
हिन्दू धर्म में षटतिला एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है माना जाता है कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने से साधक के जीवन से हर समस्याएं समाप्त हो जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होने के साथ जाने-जाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही षटतिला एकादशी के दिन तिल का इस्तेमाल करना काफी शुभ माना जाता है। बता दें इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी 2024 को रखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि इस दिन कैसे करें तिल का इस्तेमाल।
षटतिला शब्द छह तरह के तिल से मिलकर बना है। इसलिए इस दिन तिल का इस्तेमाल करके सुख-समृद्धि, धन-संपदा की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के पसीने से हुई थी। इसके साथ ही पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं षटतिला एकादशी के दिन किन 6 तरीकों से करें इस्तेमाल।
तिल स्नान
षटतिला एकादशी के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इस दिन अगर पवित्र नदी में स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, तो घर में ही नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगाजल के साथ थोड़े से तिल डाल लें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
पद-प्रतिष्ठा के साथ धन लाभ के योगतिल का उबटन
हिंदू धर्म के अनुसार, षटतिला एकादशी के दिन तिल का उबटन लगाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन तिल का उबटन लगाने से रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
तिलोदक
षटतिला एकादशी के दिन अंजुलि में जल और तिल डालकर पितरों का तर्पण जरूर करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ हवन करना काफी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही हवन में तिल जरूर अर्पित करें।
तिल का भोजन
षटतिला एकादशी के दिन किसी न किसी तरह से तिल को जरूर शामिल करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
तिल का दान
षटतिला एकादशी के दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस तिल का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव की अशुभ स्थिति का प्रभाव कम होता है।
षटतिला एकादशी व्रत का पारण- 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार
व्रत के पारण का समय- 7 फरवरी 2024 दिन बुधवार सुबह 7 बजकर 6 मिनट से लेकर सुबह 9 बजकर 18 मिनट तक।
व्रत के पारण से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान
षटतिला एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन ही करें।
व्रत पारण के समय से पहले इस दिन प्रातः उठ कर स्नान आदि से निवृत हो जाएं।
व्रत को खोलने से पहले श्री हरि की वंदना करें और उनसे व्रत के दौरान हुई भूल-चूक की क्षमा मांगे।
षटतिला एकादशी के व्रत का पारण करने से पहले मंदिर जाकर भगवान विष्णु के दर्शन करें और वहां के पुजारी को श्रद्धानुसार कुछ दान करें।
इसी के साथ प्रातः जरूरतमंद लोगों को फल, फूल, मिष्ठान या वस्त्र आदि दान कर व्रत खोलें।
व्रत खोलते समय भगवान विष्णु का चिंतन करें और अन्न ग्रहण या श्री हरि को लगाए भोग से व्रत का पारण करें। सी
षटतिला एकादशी के व्रत को पारण समय पर ही खोलना चाहिए। नहीं तो व्रत का फल नहीं प्राप्त होगा।