रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में 182 साल की जेल की सजा काट रहे बिल्डर की पैरोल बढ़ाने की मांग से इनकार कर दिया है. बिल्डर ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाने के लिए अर्जी दाखिल की थी. दरअसल भ्रष्टाचार के मामले में उसे 182 साल की सजा है, और सजा काट भी रहा है, फिलहाल पैरोल पर चल रहा है. उस पर प्लॉट खरीददारों द्वारा जमा किए गए 90 लाख रुपए गबन करने का आरोप है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि वह सात साल जेल में बिता चुका है. तीसहजारी कोर्ट की डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने कुल 182 साल की सजा सुनाई है. दोषी राकेश कुमार ने हाईकोर्ट से 6 महीने पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा की दी गई सजा में कमी और पैरोल केवल इस आधार पर बढ़ाया नहीं जा सकता कि याचिकाकर्ता प्लॉट खरीददारों से सेटेलमेंट के लिए
पैसे का इंतजाम कर रहा है.
‘पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं…’
हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी ने जो काम किया है, वह पैरोल बढ़ाने की मांग का हकदार नहीं है, पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं है, ये प्रिविलेज है. विशेष परिस्थितियों में ही पैरोल दिया जा सकता है, कोर्ट उस पर विचार कर सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पैरोल बढ़ाने की मांग खारिज करते हुए कहा कि उसके समक्ष दाखिल याचिका में दी गई सजा को चुनौती नहीं दी गई है, केवल पैरोल बढ़ाने की मांग की गई है, और पैरोल दिल्ली प्रिजन रूल 2018 के तहत गवर्न होता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ही सितंबर 2019 में दोषी को पैरोल दिया था जो कि हाईकोर्ट द्वारा समय समय पर बढ़ाया भी गया. याचिकाकर्ता के इस आश्वासन के बाद कि वह प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट की कोशिश कर रहा है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पैरोल की अवधि अंतिम बार 10 जनवरी को तब तक के लिए बढ़ाया था जब तक उसकी याचिका उसके समक्ष लंबित है और जब तक उसकी सुनवाई नहीं हो जाती.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा की उनको आशा है की गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अधिगृहीत की गई जमीन का मुआवजा मिलने वाला है और वह मिले मुआवजे से प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट कर लेगा.