नोएडा अथॉरिटी में मुआवजा घोटाला : एसआईटी भ्रष्ट अफसरों की सूची सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी! लेकिन सुनवाई...

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नोएडा  : नोएडा के गेझा तिलपताबाद में हुआ करीब 100 करोड़ रुपये का मुआवजा घोटाला (Compensation Scam) प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश सरकार के गले की फांस बन गया है। इस मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई होनी थी, लेकिन किसी कारणवश नहीं हो सकी। अब यह सुनवाई कब होगी, इसकी जानकारी प्राधिकरण अधिकारियों के पास नहीं है। बताया जा रहा है कि सूची में केस लिस्टेड नहीं होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। बता दें कि पिछले महीने एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण पर छापेमारी कर जांच की थी। दायरा बढ़ने पर कई और गड़बड़ियां पकड़ी गईं हैं। दूसरी तरफ, एसआईटी ने फाइलें खंगालने के बाद एक सूची तैयार की है। उसमें मुआवजा के साथ खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों के नाम शामिल हैं।

इस महीने होगी सुनवाई

इससे पहले नवंबर-2023 में इस मामले में सुनवाई हुई थी। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने केवल इसी मामले की रिपोर्ट पेश की। घोटाले के लिए जिम्मेदार अफसरों के नाम नहीं बताए और न ही कार्रवाई के बारे में जानकारी दी। इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने यूपी सरकार और एसआईटी को फटकार लगाते हुए मुआवजा घोटाला मामले में बीते 10-15 साल की विस्तृत जांच करने के आदेश दिए। राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से अंतिम अवसर मांगा है। कोर्ट ने चार सप्ताह में मुकम्मल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। अब रिपोर्ट तैयार कर दी गई है। उम्मीद है कि इसी महीने कभी भी सुनवाई हो सकती है। इसमें एसआईटी भ्रष्ट अफसरों की सूची सुप्रीम कोर्ट में पेश कर सकती है।

यूपी सरकार ने बनाई कमेटी

नोएडा अथॉरिटी ने पिछले 10 से 15 वर्षों में जितने बड़े जमीन अधिग्रहण को लेकर मुआवजा वितरण किया है, उसकी जांच की जाए। कोर्ट ने चार हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर करते हुए यूपी सरकार को उनके द्वारा बनाई गई कमेटी से मुआवजा वितरण में हुए कथित फर्जीवाड़े की गंभीरता से जांच करने के लिए कहा। कोर्ट ने कमेटी को कहा कि अगर मुआवजा वितरण में कुछ गलत हुआ है या नोएडा अथॉरिटी द्वारा की गयी विभागीय जांच में कोई अधिकारी प्रथमदृष्ट्या शामिल पाया जाता है तो उसकी भी रिपोर्ट दाखिल की जाए।

पिछली सुनवाई पर अदालत ने की थी तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर तल्ख टिप्पणी की थी। प्राधिकरण के पूरे सेटअप को भ्रष्ट बताया था। जिस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी पर सवाल खड़े किए हैं, और उत्तर प्रदेश सरकार को लताड़ लगायी है, वह अपने आप में हैरानी भरा है। इससे साफ पता चलता है कि अथॉरिटी के अफसर कैसे सरकारी खजाने को लूटने में जुटे हुए हैं। जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ रहा है। यही बात सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कही है। नोएडा अथॉरिटी के लॉ ऑफ़िसर सुशील भाटी ने 20 मई 2021 को शहर के थाना सेक्टर-20 में एफआईआर दर्ज कराई थी। मुकदमा अपराध संख्या 581/2021 आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(ए) के तहत दर्ज किया गया है। गेझा तिलपताबाद गांव के खसरा नंबर-684, 694, 714 में किसान फुनदन सिंह की भूमि 24 नवंबर-1982 को कुल रकबा 10-15-15 बीघे का अधिग्रहण किया गया था। दिनांक 27 दिसंबर-1983 को भूमि अर्जन अधिकारी ने 10.12 रुपए प्रति वर्गगज की दर से इस ज़मीन का मुआवजा दिया गया।

क्या है पूरा मामला

नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। तत्कालीन सीईओ ऋतु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज करवाई गई। नोएडा के दो अधिकारियों और एक भूमि मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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