रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली
: मनी लाड्रिंग से जुड़े मामले में सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को आखिर जमानत मिल ही गई। बीते दिनों कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। लेकिन, एक बार फिर स्वास्थ्य को कारण बताकर अर्जी पेश की गई। कोर्ट ने मंगलवार को उनकी अर्जी स्वीकार करते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी।
क्या है पूरा मामला
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आरके अरोड़ा ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी। उनका कहना था कि उनके स्वास्थ्य में दिन प्रतिदिन गिरावट आ रही है। बीते महीने कुछ दिनों के लिए उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया था। लेकिन, उससे भी उन्हें विशेष लाभ नहीं हुआ। अब एक बार आरके अरोड़ा ने स्वास्थ्य के आधार पर पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दाखिल कर 90 दिनों के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई करते हुए उन्हें 30 दिन की अंतरिम जमानत दी है।
अवैध निर्माण तो सुपरटेक का शौक़
हाउसिंग सोसाइटी और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में अवैध निर्माण करना सुपरटेक कम्पनी का पुराना शग़ल रहा है। गौतमबुद्ध नगर ही नहीं, देश के इतिहास में अवैध निर्माण के चलते किसी बिल्डर पर सबसे बड़ी कार्रवाई की गई, वह बिल्डर सुपरटेक लिमिटेड है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लगभग एक साल पहले नोएडा में ट्विन टॉवर को ध्वस्त किया गया था। सुपरटेक बिल्डर ने अवैध रूप से ट्विन टावर का निर्माण किया था। ग्रेटर नोएडा के सुपरटेक ज़ार सोसाइटी में भी बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण करने के आरोप हैं। जिसके खिलाफ़ कुछ प्रॉपर्टी खरीददारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। मामले की जांच कर रही ईडी ने बीते साल आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया था।
सबसे बड़ा डिफाल्टर बिल्डर
सुपरटेक बिल्डर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का सबसे बड़ा डिफॉल्टर बिल्डर है। इतना ही नहीं, हज़ारों की संख्या में प्रॉपर्टी खरीददार निर्माण पूरा होने और क़ब्ज़ा मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। ज़्यादातर ख़रीदार पूरा पैसा सुपरटेक बिल्डर को दे चुके हैं। अधिकांश परिवारों को उनका घर मिलने की समय सीमा 5 से 7 साल पहले बीत चुकी है।