रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
गोरखपुर। दीपावली के अवसर पर अस्थाई पटाखों की दुकान के मामले में गोरखपुर शहर में एक तरफ जहां नियम कानून को ताक पर रख कर सबसे अधिक डिमांड वाले स्थान का न सिर्फ नियम बदल दिया गया बल्कि सरकारी संपत्ति को बिना किसी पूर्व सूचना और निविदा के एक प्राइवेट व्यक्ति के हवाले करते हुए मनमानी रकम वसूली गई और बिना विधुत सुरक्षा सम्बन्धी उपाय किये पटाखों की दुकानों को सजा दिया गया ।
यहां लगे विधुत कनेक्शन के बारे में न तो विभाग को जानकारी है न ही विधुत सुरक्षा विभाग से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र लिया गया। ऐसे में अगर कोई दुर्घटना घटी तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा इसका जवाब किसी के पास नही है । क्योंकि यहां जो भी दुकाने दी गई हैं उसमें सिर्फ और सिर्फ ठेकेदार शामिल है। इस बार यहां दुकान लगाने वालों ने न फायर एनओसी के लिए अग्निशमन का रुख किया और न ही पुलिस सत्यापन के लिए थाना कोतवाली का चक्कर काटा, सब कुछ ठेकेदार ने साहब के फोन के जरिये करा लिया।
यही नही नियम कानून को ताक पर रखते हुए लगभग 69 दुकानदारों के पुलिस सत्यापन की औपचारिकता मात्र एक दिन में पूरी कर ली गई।
जबकि अन्य अलग अलग जगहों पर लगने वाली दुकानों के लिए नियम कानून व सत्यापन की कार्यवाही में कोई बदलाव नही किया गया।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इस बार टाउनहाल ग्राउंड पर लगने वाली अस्थाई पटाखा दुकानों के लिए जो खेल हुआ है उसमें बाबू से लेकर उच्चाधिकारियों तक के शामिल होने की बात कही जा रही है।
कुल मिलाकर यदि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए तो सीएम योगी के शहर में उनकी ज़ीरो टॉलरेंस और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन के दावों की हवा निकालने में शामिल यहां तैनात अधिकारियों की भूमिका का खुलासा हो जाएगा।