लखनऊ उत्तर प्रदेश, दुबग्गा गैस रिफिलिंग के विस्फोट के बाद प्रशासन का जागरण, लखनऊ मे ताबडतोड कारवाई,

Rajesh Kumar Yadav
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 दुबग्गा गैस रिफिलिंग विस्फोट के बाद प्रशासन का जागरण: लखनऊ में ताबड़तोड़ कार्रवाई

रिपोर्ट राजेश कुमार यादव 

लखनऊ: दुबग्गा में हाल ही में हुए गैस रिफिलिंग विस्फोट ने पूरे प्रशासन को हिला कर रख दिया है। इस हादसे के बाद लखनऊ कमिश्नर पुलिस ने अवैध गैस रिफिलिंग के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। सवाल उठता है कि क्या यह कदम पहले नहीं उठाया जा सकता था?

15 दिन पहले दी गई चेतावनी अनदेखी

जानकारी के अनुसार, घटना से 15 दिन पहले ही *अवैध गैस रिफिलिंग की खबरें* सामने लाई गई थीं। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लेकिन अब जब हादसा हो गया, तो गुडवर्क तेज़ी से शुरू हो गया।

बाजार खाला पुलिस की कार्रवाई

लखनऊ के पश्चिमी ज़ोन के थाना बाजार खाला की पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए गैस रिफिलिंग के धंधे में लिप्त अपराधियों को पकड़ा। मौके पर भारी मात्रा में अवैध गैस सिलेंडर और उपकरण बरामद किए गए, जिनमें शामिल हैं:

15 बड़े गैस सिलेंडर*

07 छोटे सिलेंडर*

02 बड़े तौल कांटे*

02 छोटे डिजिटल कांटे*

02 बड़े और 02 छोटे रिफिलिंग उपकरण*

रिंच और प्लास*

क्या कह रहे हैं अधिकारी?

बाजार खाला थाने के कोतवाल संतोष कुमार आर्य ने अपनी टीम के साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई की। मौके पर सप्लाई इंस्पेक्टर को बुलाकर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। इस कार्रवाई को लखनऊ पुलिस कमिश्नर के आदेश का नतीजा बताया जा रहा है।

कमिश्नर का सख्त आदेश*

सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ पुलिस कमिश्नर ने सभी ज़ोन के डीसीपी को निर्देश दिया है कि अवैध गैस रिफिलिंग के धंधे में लिप्त लोगों पर शिकंजा कसा जाए। यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक इस तरह की गतिविधियां पूरी तरह बंद नहीं हो जातीं।

इस हादसे के बाद उठने वाले सवाल बेहद गंभीर हैं:*

1. क्या प्रशासन को पहले से अवैध गैस रिफिलिंग के बारे में पता था?

2. अगर हां, तो पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

3. क्या यह हादसा प्रशासनिक उदासीनता का नतीजा है?

अवैध रिफिलिंग के खिलाफ युद्ध*

लखनऊ में गैस रिफिलिंग का अवैध धंधा लंबे समय से चल रहा है। इस हादसे के बाद पुलिस और प्रशासन ने इसे जड़ से खत्म करने का दावा किया है।

दुबग्गा गैस रिफिलिंग विस्फोट ने यह साबित कर दिया है कि प्रशासन की निष्क्रियता का ख़ामियाज़ा आम जनता को भुगतना पड़ता है। अब देखना यह है कि यह अभियान कितना प्रभावी साबित होता है और क्या भविष्य में ऐसे हादसे रोके जा सकते हैं। क्या उन गैस एजेंसियों के मालिकान के खिलाफ भी कार्रवाई बनती है? क्या उनको इस कृत्य के बारे में नहीं रहती है ख़बर? क्या एजेंसी के मालिकों का मुनाफे नहीं होती है कोई साझेदारी?

हादसे के बाद की गई कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता है या वास्तव में बदलाव लाने का प्रयास, यह समय बताएगा।"*

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