उत्तर प्रदेश में माफियाओं पर बड़ी कार्रवाई: गोरखपुर और देवरिया के अपराधियों पर कसा शिकंजा, संपत्तियों की जब्ती और सजा पर मांगी गई विस्तृत रिपोर्ट
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
लखनऊ उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में अपराध और माफियाराज पर लगाम कसने के लिए प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सख्त कदम उठाए हैं। बीते 21 महीनों में माफियाओं और उनके गिरोहों के खिलाफ हुई सभी कार्रवाइयों का विस्तृत ब्योरा अब शासन ने जिलों से तलब किया है। इसमें यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया है कि माफियाओं के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई की गई, कितनों की संपत्तियां जब्त की गईं और कितने अपराधियों को सजा दिलाई गई। इस प्रदेशव्यापी अभियान में गोरखपुर और देवरिया के माफियाओं पर विशेष रूप से फोकस किया गया है।
पिछले साल 25 मार्च 2022 को प्रदेश सरकार ने अपराध और माफियाराज खत्म करने के उद्देश्य से 68 कुख्यात माफियाओं की सूची तैयार की थी। इस सूची में गोरखपुर के चार और देवरिया के एक माफिया का नाम भी शामिल है। इन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में किसी भी तरह के अपराध और माफियाराज को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गोरखपुर के चार माफियाओं में पहला नाम विनोद उपाध्याय का है, जो फरारी के दौरान पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। विनोद उपाध्याय पर हत्या, फिरौती और अवैध उगाही जैसे कई गंभीर मामले दर्ज थे। दूसरा नाम सुधीर सिंह का है, जो गोरखपुर समेत कई जिलों में दर्ज मामलों का सामना कर रहा है। हाल ही में सुधीर सिंह को आर्म्स एक्ट के तहत सजा सुनाई गई है। तीसरे माफिया राकेश यादव को भी दो मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है और उस पर पुलिस की सख्ती लगातार जारी है। चौथे नाम के तौर पर पूर्व विधायक राजन तिवारी का जिक्र किया गया है, जिन्हें गैंगस्टर एक्ट में गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह जमानत पर रिहा हैं। वहीं, देवरिया और लखनऊ के कुख्यात माफिया रामू द्विवेदी के खिलाफ भी कई गंभीर मामले दर्ज हैं और पुलिस उसकी संपत्तियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ उसे सजा दिलाने की प्रक्रिया में जुटी है।
शासन ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि इन माफियाओं पर अब तक की गई सभी कार्रवाइयों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करें। इस रिपोर्ट में यह भी बताया जाना अनिवार्य है कि इन अपराधियों की कितनी संपत्तियां जब्त की गईं, कितने मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया गया, और कितनों को अदालत में दोषी साबित कर सजा दिलाई गई। गोरखपुर और देवरिया के माफियाओं पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि इन जिलों के माफियाओं का अपराध जगत में व्यापक प्रभाव माना जाता है।
हालांकि, 2022 तक 68 माफियाओं में से 17 पर कार्रवाई में ढिलाई की शिकायतें सामने आई थीं। इनमें से पांच माफियाओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया था, जबकि 12 के मामलों में केवल औपचारिकताएं पूरी की गई थीं। इसके बाद से शासन ने इन माफियाओं पर शिकंजा कसने की प्रक्रिया को तेज किया है। गोरखपुर के सुधीर सिंह और राकेश यादव के खिलाफ तेजी से कार्रवाई हुई है, वहीं देवरिया के रामू द्विवेदी के मामलों में लखनऊ और देवरिया पुलिस ने मिलकर उसकी संपत्तियों की जब्ती की प्रक्रिया शुरू की है।
गोरखपुर और देवरिया में पुलिस प्रशासन ने माफियाओं के खिलाफ अपनी रणनीति को और मजबूत किया है। विनोद उपाध्याय का एनकाउंटर प्रशासन की सख्ती का एक बड़ा उदाहरण है, जिसने अपराधियों के बीच डर पैदा किया है। सुधीर सिंह, राकेश यादव और राजन तिवारी के मामलों में भी तेजी से कार्रवाई की जा रही है, जबकि रामू द्विवेदी पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में माफियाराज को खत्म करना उसकी शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है। पुलिस और प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि न केवल माफियाओं को सजा दिलाई जाए, बल्कि उनके आर्थिक नेटवर्क और संपत्तियों को भी ध्वस्त किया जाए। सरकार के इस कदम से स्पष्ट संकेत मिलता है कि उत्तर प्रदेश में अपराध और माफियाराज पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए यह अभियान तेज और प्रभावी बनाया जाएगा।