*बिहार कोकिला शारदा सिन्हा का निधन: छठ गीतों की मर्मस्पर्शी आवाज ने ली अंतिम सांस*
*रिपोर्ट राजेश कुमार यादव*
*नई दिल्ली*
बिहार की सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। अपनी अनूठी आवाज़ और छठ पर्व के गीतों के लिए प्रसिद्ध शारदा सिन्हा को "बिहार कोकिला" के नाम से जाना जाता था। उनके गीत हर वर्ष छठ पर्व को जीवंत बना देते थे और उनकी आवाज ने इस महापर्व को जन-जन में फैलाया। उनका निधन न केवल संगीत प्रेमियों के लिए बल्कि संपूर्ण बिहार की सांस्कृतिक धरोहर के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
शारदा सिन्हा को 26 अक्टूबर को तबीयत बिगड़ने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी सेहत लगातार गिरती जा रही थी, जिसके चलते डॉक्टरों ने उन्हें पहले आईसीयू में रखा था। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से उन्हें खाने-पीने में परेशानी हो रही थी, जिसके लिए उनका इलाज चल रहा था। 3 नवंबर को स्थिति में थोड़ा सुधार होने के बाद उन्हें प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। परंतु, 4 नवंबर की शाम को अचानक उनका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो गया, जिसके कारण उन्हें पुनः वेंटिलेटर पर ले जाया गया और आईसीयू में शिफ्ट किया गया।
एम्स के मेडिकल ऑन्कोलॉजी वार्ड में उनकी देखभाल की जा रही थी, लेकिन पिछले 11 दिनों से उनकी हालत में स्थायी सुधार नहीं आ सका। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास किया, परन्तु उनकी सेहत में कोई स्थायी सुधार नहीं हुआ और 4 नवंबर की शाम को उन्होंने अंतिम सांस ली।
शारदा सिन्हा का छठ पर्व से विशेष जुड़ाव था। उन्होंने इस पर्व के कई मशहूर गीत गाए, जो न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में इस महोत्सव के दौरान गूंजते हैं। उनके गीतों ने छठ पर्व को एक नई पहचान दी और उनकी आवाज ने पर्व को हर घर में जीवंत किया। उन्होंने संगीत की दुनिया में बिहार को एक विशिष्ट स्थान दिलाया और अपनी पहचान को लोक संगीत के माध्यम से बिहार की संस्कृति के प्रतीक के रूप में स्थापित किया।
शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक बड़ी हानि है। उनकी यादें और उनकी आवाज हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों में बसी रहेंगी। उनकी आवाज का जादू और लोक संगीत में उनका योगदान भारतीय संगीत जगत में सदैव अमर रहेगा।