रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
गोरखपुर।दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के तीन बार कुलपति रह चुके, सामाजिक कार्यों में अपनी गहरी रुचि रखने वाले और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित प्रोफेसर राधे मोहन मिश्रा का आज शाम उनके निवास पर निधन हो गया। इस दुखद घटना से पूरे गोरखपुर और विश्वविद्यालय में शोक की लहर दौड़ गई। सिद्धार्थ एन्क्लेव स्थित एचआईजी ए-174 देवरिया बाईपास के तारामंडल क्षेत्र में स्थित उनके आवास पर निधन के समय उनके छोटे पुत्र अनुपम मिश्र उनके साथ मौजूद थे।
शुक्रवार, एक नवंबर को उनकी अंतिम यात्रा सुबह 9 बजे उनके निवास स्थान से प्रारंभ होकर राप्ती तट स्थित श्रीराम घाट के पास सहारा मोक्ष धाम शवदाह गृह तक जाएगी, जहां सुबह 10 बजे अंतिम संस्कार संपन्न किया जाएगा। उनके पुत्र अनुपम ने इस बात की जानकारी देते हुए अपने पिता के निधन पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त कीं और कहा कि यह उनके परिवार के लिए अपार क्षति है।
प्रो. मिश्र ने अपनी जीवन यात्रा में शिक्षा, समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया। वे 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़े और 2014 का लोकसभा चुनाव गोरखपुर सदर से पार्टी के प्रत्याशी के रूप में लड़ा। हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी की स्वराज, आंतरिक लोकतंत्र और पारदर्शिता के सिद्धांतों से पीछे हटने के कारण इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा था कि पार्टी के अन्य दलों की तरह व्यवहार करने पर वह उससे अलग हो गए। उनके इस फैसले ने उनके सिद्धांतों और दृढ़ निश्चय को स्पष्ट किया।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते प्रो. मिश्र ने रामगढ़झील के प्रदूषण और अतिक्रमण के खिलाफ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में एक लंबी लड़ाई लड़ी। उनकी इस मुहिम ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए गोरखपुर में एक नई जागरूकता को जन्म दिया और उन्होंने इसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बना लिया।
प्रो. राधे मोहन मिश्र के निधन पर विश्वविद्यालय और शहर के प्रमुख व्यक्तित्वों ने शोक व्यक्त किया है। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. हर्ष सिन्हा ने कहा कि प्रो. मिश्र का जाना शिक्षा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल, आर्किटेक्ट अनुपम अग्रवाल, समाजसेवी मनीष चौबे, मनोज सिंह, मुमताज खान, प्रो. अनिल राय ने भी उनके निधन पर गहरा दुख प्रकट करते हुए उनके समाज और पर्यावरण के प्रति समर्पण को सराहा। इन सभी ने उन्हें एक प्रेरणास्रोत और सच्चे समाजसेवी के रूप में याद किया और कहा कि उनका जाना समाज के लिए एक बड़ी हानि है जिसकी भरपाई संभव नहीं है।
उनके निधन के बाद समाज के विभिन्न वर्गों में गहरा शोक है। प्रोफेसर मिश्र एक प्रेरक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपने जीवन को समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाओं में समर्पित किया। उनका नाम समाज सेवा, शिक्षा और पर्यावरण के प्रति जन जागरूकता के लिए सदैव याद किया जाएगा।
प्रो. राधे मोहन मिश्र न केवल शिक्षाविद थे, बल्कि समाज सेवा, पर्यावरण संरक्षण और राजनीतिक चेतना के क्षेत्र में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। उन्होंने समाज के उत्थान के लिए निरंतर प्रयास किए और युवाओं में समाजसेवा और पर्यावरण संरक्षण की भावना जाग्रत करने का काम किया। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने कई उन्नतियों को देखा, और उनकी पहल से छात्रों में शिक्षण के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता बढ़ी। उनके निधन से गोरखपुर ही नहीं, बल्कि समूचे शिक्षाजगत और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों में गहरा शोक व्याप्त है। उनका समर्पण और योगदान हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा, और उन्हें एक आदर्श और प्रेरणास्रोत के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।