दिवाली पर 6,000 करोड़ रुपये के बिके पटाखे, फिर भी बदहाल शिवकाशी का पटाखा उद्योग

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली: तमिलनाडु का शिवकाशी अपने पटाखों के लिए मशहूर है. राज्य के विरुधुनगर जिले में स्थित शिवकाशी का पटाखा उद्योग लगभग सौ साल पुराना है. यहां से पूरे देश में पटाखे जाते हैं. तमिलनाडु फायरवर्क्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने बताया है कि इस साल शिवकाशी के पटाखा कारखानों ने दिवाली के लिए देश भर में 6,000 करोड़ रुपये के पटाखे बेचे हैं. मगर इस साल उत्पादन में भारी गिरावट आई है. इसकी वजह सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों के निर्माण पर लगाए गए कुछ प्रतिबंध हैं. 

पटाखों के निर्माण से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध:

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले एक प्रमुख घटक बेरियम नाइट्रेट पर पहले से प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसके अलावा आपस में जुड़े हुए पटाखों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है जिसमें अलग-अलग पटाखों के सेट एक फ्यूज से जुड़े होते हैं, और एक पटाखा जलाने पर वे एक-एक कर जलते हैं. शिवकाशी में पटाखा व्यवसाय के मालिकों ने बताया कि आपस में जुड़े हुए पटाखों पर प्रतिबंध के कारण उत्पादन में कम से कम 30 प्रतिशत की गिरावट आई है.

कम बन रहे पटाखे:

आतिशबाजी निर्माताओं के अनुसार तमिलनाडु में शिवकाशी और आस-पास के गांवों में 300 से अधिक कारखाने आपस में जुड़े हुए पटाखे बनाते हैं. कालीश्वरी फायरवर्क्स के ए.पी. सेल्वराजन ने कहा,"शिवकाशी में कुल उत्पादन में ध्वनि वाले पटाखों का हिस्सा 40 प्रतिशत है. उन ध्वनि उत्पादों में से, लगभग 20 प्रतिशत आपस में जुड़े हुए पटाखे थे." उन्होंने कहा कि पटाखों के कई निर्माताओं ने महीनों तक अपनी फैक्ट्रियां बंद रखी हैं, जिसके कारण श्रमिक दूसरी फैक्ट्रियों में चले गए हैं. इसके अलावा इस साल शिवकाशी के कुछ हिस्सों में भारी बारिश ने उत्पादन को और प्रभावित किया जिससे उत्पादन सामान्य से लगभग 75 प्रतिशत रह गया.

शिवकाशी में बनते हैं 70 प्रतिशत पटाखे, 8 लाख लोगों का चलता है घर:

शिवकाशी को भारत के पटाखा उद्योग का केंद्र माना जाता है. यहां देश के लगभग 70 प्रतिशत पटाखे बनते हैं. यहां 1150 पटाखा कारखाने हैं जहां लगभग 4 लाख मजदूर पटाखे बनाते हैं. पटाखा उद्योग पर संकट को देखते हुए इस साल तमिलनाडु में बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने लोगों से जमकर पटाखे खरीदने की अपील की थी. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा था,"पटाखों को लेकर पर्यावरण के बारे में चिंता जताई जाती है. मगर ये एक ऐसी सोच है जो हम पर थोपी जा रही है. सिर्फ एक दिन आतिशबाजी को लेकर इतना बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है. मगर केवल हमें पता है कि पटाखे जलाने से लोगों के घर चलते हैं. लगभग 8 लाख लोग इस उद्योग से सीधे और परोक्ष रूप से जुड़े हैं." हालांकि शिवकाशी के पटाखा उद्योग में सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई जाती है. वहां अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं जिनसे जानमाल का नुकसान हुआ है. इस वर्ष शिवकाशी में 17 दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 54 लोगों की जान चली गई.

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