नई दिल्ली-: 'नेताओं से जजों की मुलाकात का फैसलों पर नहीं पड़ता कोई असर', CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने किया साफ

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के प्रमुख जब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से मिलते हैं तो इन मुलाकातों में राजनीतिक परिपक्वता होती है। इससे न्यायिक कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है। सीजेआई ने यह भी कहा कि जब हम राज्य सरकार या केंद्र सरकार के मुखिया से मिलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि कोई डील हो गई।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक कार्यक्रम के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से सवाल किया गया कि बड़े न्यायिक अधिकारियों और राजनेताओं के बीच गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या अन्य मौकों पर मुलाकात होती रहती है। इस सवाल का जवाब देते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे पॉलिटिकल सिस्टम की परिपक्वता इसी बात पर निर्भर करती है कि ज्यूडिशरी और उनके विचारों में काफी अंतर होता है।सरकार प्रमुखों से बातचीत का मतलब कोई डील नहीं:

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमें न्यायिक कामकाज की वजह से राज्य के सीएम से बातचीत करनी होती है क्योंकि वे ही न्यायपालिका के लिए बजट देते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एक उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस था और इसके अलावा बॉम्बे हाई कोर्ट की प्रशासनिक समिति में भी काम करता था। वहीं राज्यों में परंपरा है कि जब कोई पहली बार मुख्य न्यायधीश बनता है तो वह सीएम से मिलता है। दूसरी बार मुख्यमंत्री चीफ जस्टिस से मिलते हैं। इन सभी मीटिंग का अलग-अलग एजेंडा होता है। सीजेआई ने कहा कि अदालत और सरकार के बीच का प्रशासनिक संबंध न्यायिक कार्य से अलग है। यह एक परंपरा है कि सीएम या चीफ जस्टिस त्योहारों या शोक में एक-दूसरे से मिलते हैं। यह हमारी न्यायिक प्रक्रिया पर कोई भी असर नहीं डालता है।

जजों पर काम का बोझ- सीजेआई चंद्रचूड़:

कोर्ट में छुट्टियों को लेकर उठने वाले सवालों पर सीजेआई ने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए कि जजों पर काम का बहुत बोझ है। उन्हें सोचने-विचारने का भी समय चाहिए होता है, क्योंकि उनके फैसले समाज का भविष्य तय करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैं खुद रात को 3.30 बजे उठता हूं और सुबह 6 बजे से अपना काम स्टार्ट कर देता हूं। उन्होंने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के सुप्रीम कोर्ट में एक साल में 181 केस निपटाए जाते हैं। वहीं हमारे यहां पर एक दिन में ही इतने केस निपटा दिए जाते हैं। भारत का सुप्रीम कोर्ट हर साल करीब 50,000 केस निपटाता है।

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