रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
नई दिल्ली: इस समय देश में दो ऐसे बयानों की चर्चा है, जिसे सुनकर राजनीतिक जगत में ही नहीं, देश की आम जनता में भी हैरानी देखी गई। दक्षिण भारत के दो राज्यों आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने हाल ही में ऐसे बयान दिए हैं, जिसकी पूरे देश में चर्चा है। पहले चंद्रबाबू नायडू उसके बाद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने जनसंख्या नीति पलटने की बात कही। उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया। यह जानने से पहले पढ़ें कि उन्होंने बयान क्या दिया?
रविवार 20 अक्टूबर के दिन आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने बढ़ती उम्रदराज जनसंख्या पर चिंता जाहिर कर दी। साथ ही कहा कि आंध्रप्रदेश ही नहीं, दक्षिण के राज्यों को ज्यादा बच्चों को जन्म देना चाहिए। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को लोकल इलेक्शन में पात्र बनाने के लिए बाकायदा एक कानून लाया जाएगा। तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने बयान दिया कि एक दो नहीं बल्कि 16-16 बच्चे पैदा करना चाहिए। स्टालिन ने कहा कि पहले घर के बड़े बुजुर्ग नए वेडिंग कपल्स को 16 तरह की संपत्ति प्राप्त करने का आशीर्वाद प्रदान करते थे। शायद अब समय गया है कि 16 संपत्ति की जगह 16 बच्चों को जन्म दिया जाए।
दोनों मुख्यमंत्रियों ने क्यों दिया ऐसा बयान:
चंद्रबाबू नायडू और स्टालिन के बयानों के पीछे खास मकसद है परिसीमन से जुड़े नियम। संसद में सीटों के निर्धारण के साथ ही संसाधनों के आवंटन में जनसंख्या सबसे बड़ा आधार होता है। नियम के अनुसार 10 लाख की जनसंख्या पर एक लोकसभा सीट तय मानी जाती है। किसी विधायक या सांसद के मत का मूल्य भी जनसंख्या के अनुपात में ही तय होता है। इस समय उत्तर भारत के राज्यों के अनुपात में दक्षिण भारतीय स्टेट्स में जन्मदर अपेक्षाकृत कम है। यही कारण है कि आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने ऐसे बयान दिए हैं।