रजनीगंधा समेत कई बड़ी पान मसाला कंपनियां बना रहीं नशेड़ी, परीक्षण में मिला निकोटीन

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली

देशभर में पान मसाला कंपनियां अपने उत्पादों से उपयोगकर्ताओं को नशेड़ी बना रही हैं। भारत सरकार के राष्ट्रीय तंबाकू परीक्षण प्रयोगशाला में रजनीगंधा सहित सात प्रमुख ब्रांडों की जांच में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी पान मसालों में खतरनाक रसायन "निकोटीन" पाया गया है। जबकि सभी पान मसाला कंपनियां अपने उत्पादों के पैकेटों पर 0 प्रतिशत तंबाकू होने का दावा करती हैं। इस खुलासे से स्पष्ट है कि तथाकथित पान मसाला वास्तव में गुटखा है और इसमें निकोटीन मौजूद है।

हाल ही में बिहार में पान मसाला के सात प्रमुख ब्रांडों को राष्ट्रीय तंबाकू परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा गया, जहां निकोटीन पाया गया। महाराष्ट्र की पहल के बाद, बिहार सरकार ने पान मसाला के 15 ब्रांडों में विषाक्त मैग्नीशियम कार्बोनेट पाए जाने की एक रिपोर्ट के आधार पर 30 अगस्त, 2019 को इनकी बिक्री, उत्पादन, भंडारण और ढुलाई पर प्रतिबंध लगा दिया था। इन ब्रांडों के नमूनों का परीक्षण भारत सरकार के राष्ट्रीय तंबाकू परीक्षण प्रयोगशाला में किया गया था।

प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, रजनीगंधा, कमला पासंद, मधु, सुप्रीम, राजश्री, सिग्नेचर और रौनक सहित सभी सात पान मसाला ब्रांड्स में खतरनाक रसायन "निकोटीन" पाया गया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए टाटा मेमोरियल सेंटर और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संस्थापक उप निदेशक पंकज चतुर्वेदी ने कहा, "बिहार में पान मसाला पर प्रतिबंध लगाने से सरकार की जनता के स्वास्थ्य के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर होती है। पान मसाला कंपनियां अपने उत्पादों के पैकेटों पर 0 प्रतिशत तंबाकू का दावा कर भारतीयों को गुमराह कर रही हैं। ऐसे खतरनाक उत्पादों को पूरे देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।"

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2011 के नियमन के अनुसार, किसी भी खाद्य उत्पाद में निकोटीन या तंबाकू को मिलाना प्रतिबंधित है। पान मसाला में निकोटीन मिलाना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना है। 3 अप्रैल 2013 को सर्वोच्च न्यायालय ने अंकुर गुटखा मामले में पान मसाला और गुटखा में निकोटीन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था और सभी राज्यों को इसे लागू करने का निर्देश दिया था।

मैक्स अस्पताल के ऑन्कोलॉजी विभाग के चेयरमैन और वीओटीवी के संरक्षक डॉ. हरित चतुर्वेदी ने कहा, "पान मसाला खुद कार्सिनोजेनिक है। इसमें निकोटीन होने से यह और भी नशीला और खतरनाक हो जाता है। युवाओं को लुभाने के लिए, इन उत्पादों का प्रिंट मीडिया, रेडियो और टीवी पर आक्रामक रूप से विज्ञापन किया जा रहा है, जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए।"

गौरतलब है कि भारत में वैश्विक स्तर पर मुंह के कैंसर का खतरा सबसे अधिक है, और एक साल में 75,000 से 80,000 नए मामले सामने आते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (एनआईएचएफडब्ल्यू) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में होने वाले कुल मौखिक कैंसर के 86 प्रतिशत मामले भारत में पाए जाते हैं। इनमें से 90 फीसदी मामलों का कारण चबाने वाला तंबाकू है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पान मसाला स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। आकर्षक स्वाद, आसान उपलब्धता और कम कीमत के कारण यह बच्चों में भी तेजी से लोकप्रिय हो गया है। इसमें जहरीले और कैंसरकारी पदार्थ होते हैं, जो मौखिक और अग्नाशय के कैंसर, रक्तचाप में वृद्धि, हृदय गति में वृद्धि, और प्रजनन से जुड़े नकारात्मक प्रभावों का कारण बन सकते हैं।

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