गीता विचार नही दर्शन लोक कल्याणार्थ न्याय के शासन की विधि व्यवस्था स्थापना आवश्यक

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

गोरखपुर । गिरते चरित्र, बढ़ते अपराध, घटती सुरक्षा की समस्या और संकट को ध्यान में रखकर भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान द्वारा तीन दशकों से अपराधमुक्ति वैचारिक क्रान्ति अभियान मानवाधिकार रक्षार्थ चलाया जा रहा है। उक्त बातें भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष रामकृष्ण गोस्वामी व संस्थान के उत्तर प्रदेश योजना प्रमुख कर्मयोगी गौरव मिश्र ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही।

 उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए जो संदेश दिया है उस संदेश को हम जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं साथ ही उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के सहयोग से 18 दिवसीय कर्मयोगी उत्तर प्रदेश निर्माण अभियान का आयोजन लोक-संवाद के माध्यम से किया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत 06 जुलाई को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जयंती को गोरखपुर से की गई और प्रदेश के अन्य जिलों वाराणसी, प्रयागराज,   अयोध्या, लखनऊ, कानपुर, मैनपुरी व आगरा से होते हुए वृंदावन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती 23 जुलाई को समाप्त होगी।

उन्होंने बताया कि विश्व में हर व्यक्ति की योग्यता, क्षमता, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रकृति और कुशलता में भिन्नता होती है। विश्व में लोक कल्याणार्थ न्याय के शासन की विधि व्यवस्था स्थापना आवश्यक होती है इसलिए अपराधियों को दंडित किए जाने की नीति, शासन और प्रशासन सुरक्षा, आजादी, विकास, शांति व सद्भावना की स्थापना को स्वधर्म मानता है। मानव व्यक्तित्व निर्माण ही समाज, क्षेत्र, प्रदेश, देश और विश्व में श्रेष्ठ शिक्षकों तथा धर्माचार्यों का नियत कर्तव्य (स्वधर्म) होता है। कर्मयोग की साधना इसका आधार है, श्रेष्ठ गुरु को श्रेष्ठ शिष्य चाहिए और श्रेष्ठ शिष्य को श्रेष्ठ गुरु भी चाहिए ऐसे में लोक स्वार्थ लोक संग्रह लोक संवाद और लोक सहयोग अति आवश्यक औऱ महत्वपूर्ण है।

अपराध मुक्त समाज निर्माण बिना मानव अधिकारों की रक्षा व्यवस्था स्थापना किसी भी युग में प्रदेश या देश में नहीं हो सकती है। गीता विचार नही दर्शन है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश यही दिया था और उनको स्वधर्म की याद दिलाई ।

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