इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि मृतक आश्रित कोटे के तहत दरोगा पद पर नियुक्ति में शारीरिक दक्षता टेस्ट विफल होने पर नहीं दिया जा सकता दूसरा मौका ......

A G SHAH
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रिपोर्ट साधना सिंह एडवोकेट मीडिया सलाहकार

प्रयागराज

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याची अन्य उचित पद पर नियुक्ति की कर सकती है मांग ....

कोर्ट के मुताबिक भर्ती का वैकल्पिक श्रोत नहीं है आश्रित कोटे में नियुक्ति ... बल्कि यह परिवार के कमाऊ सदस्य की अचानक हुई मौत से आये आर्थिक संकट से उबारने का है नियम..... जस्टिस एम सी त्रिपाठी और जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में हुई मामले की सुनवाई......

गौरतलब है कि यूपी के मुजफ्फरनगर की याची गीता रानी के पति मानसिंह हेड कांस्टेबल थे...... सेवाकाल में ही हो गई उनकी मृत्यु......

         याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी देकर दरोगा पद पर नियुक्ति की.... की  मांग .......

गीता रानी का शारीरिक दक्षता टेस्ट लिया गया......याची दौड़ में विफल रही तो हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एक मौका दिए जाने की ... की मांग ....

        सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए एक मौका देने और विफल होने पर उचित पद पर योग्यता अनुसार नियुक्ति पर विचार करने का दिया आदेश.....

सिंगल बेंच के इस फैसले को राज्य सरकार ने अपील में दी थी  चुनौती ......

कोर्ट ने कहा अभ्यर्थी  याची गीता रानी  दौड़ में योग्यता मानक पाने में रही विफल  तो उसे  नहीं दिया जा सकता दूसरा मौका .... क्योंकि नहीं है ऐसा कोई नियम......

         कोर्ट ने कहा है कि उचित नहीं है सिंगल बेंच का आदेश और रद्द होने योग्य है......

कोर्ट के मुताबिक याची महिला उचित पद पर नियुक्ति की दे सकती है अर्जी .... जिस पर  किया जाये विचार और एक माह में उसकी योग्यता के अनुसार नियुक्ति पर लिया जाए निर्णय .....

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल राज्य सरकार की विशेष अपील को इस फैसले के साथ कर दिया निस्तारित......

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