यूपी में क्यों पिछड़ी भाजपा,अवध से लेकर पूर्वांचल तक ने किया निराश

A G SHAH . Editor in Chief
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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

लखनऊ।भारतीय जनता पार्टी को अपने बलबूते बहुमत हासिल करने के मंसूबे को सबसे बड़ा पलीता उत्तर प्रदेश ने लगाया है।यूपी की 80 लोकसभा सीटों में लगभग आधी सीटों पर भाजपा हार गई। 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले भाजपा को लगभग 25 सीटों का नुकसान हुआ है।भाजपा के बहुमत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा अटकाने का काम यूपी ने किया है।

यूपी में संविधान,आरक्षण पर खतरा,बेरोजगारी,पेपर लीक और महंगाई जैसे मुद्दों ने भाजपा के लिए मुश्किल हालात पैदा किए तो वर्तमान सांसदों से नाराजगी और गैर यादव पिछड़ी जातियों के छिटकने ने इसमें खास का काम किया।

यूपी में माहौल इस कदर भाजपा के खिलाफ गया कि स्मृति ईरानी,महेंद्र नाथ पांडेय,संजीव बालियान,अजय मिश्रा टेनी, भानु प्रताप वर्मा और कौशल किशोर जैसे केंद्रीय मंत्री लोकसभा चुनाव हार गए।कई बार से चुनाव जीतती आ रहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी चुनाव हार गईं।वैसे तो यूपी में हुए सात चरणों के चुनाव में हर चरण में भाजपा को अपनी सीटें खोनी पड़ी है पर सबसे ज्यादा नुकसान पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में हुआ है।

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