नानौता की राजपूत महापंचायत के बाद कई के चेहरों पर चिन्ता की लकीरें साफ़ झलक रही है-- गठबंधन प्रत्याशी की बल्ले बल्ले-- आखिर किस करवट बैठेगा ऊंट भविष्य के सब गर्भ में छिपा-- इस बार भी अधिकांश मतदाता नहीं खोल रहा अपने पत्ते-- दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा चुनाव जबरदस्त मुकाबला--

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

सहारनपुर।लोकसभा सीट पर होने वाले चुनाव के हालात दिन प्रतिदिन चुनावी महासंग्राम दिलचस्प होता जा रहा है। जहां भाजपा प्रत्याशी उम्मीदवार राघव लखन पाल दिन रात अपने समर्थकों के साथ प्रचार में जुटे हैं।वहीं गठबंधन प्रत्याशी इमरान मसूद किसी भी हाल में पिछली गलतियों को नही दोहराना चाहते और हर चीज़ को नज़र में रखकर अपना प्रचार कर रहे हैं,बसपा प्रत्याशी माजिद अली भी बसपा पदाधिकारियों और अपने कार्यकर्ताओं के साथ चुनावी मैदान में जी जान के साथ डटे हैं,हालाँकि अभी तक के रुझान के मुताबिक़ भाजपा प्रत्याशी और गठबंधन प्रत्याशी में कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है, जहां भाजपा प्रत्याशी अपनी पुरानी छवि के आधार पर वोट मांग रहे हैं वहीं उनको मोदी के करिश्मे का भी आसरा है, मगर वर्तमान में राजपूत वोटर भाजपा के गले मे हड्डी की तरह से फंसते दिखाई दे रहे हैं,नानौता में हुई राजपूत महापंचायत ने जहां भीड़ के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए वहीं ज़िले भर के अलावा अन्य जनपदों से भी राजपूत समाज और ख़ास तौर पर युवाओं ने इस रैली में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया,इस रैली में भाजपा का खुलकर विरोध किया और कहा गया कि राजपूत समाज के नेताओं का टिकट काटना तथा समाज की अनदेखी करना भाजपा को बहुत महंगा पड़ेगा,अब ये तो नही कहा जा सकता कि राजपूत समाज अपनी इस धमकी पर सौ प्रतिशत खरा उतरेगा मगर ये तय है कि अगर राजपूत समाज के वोटर भाजपा के ख़िलाफ़ चले गए तो भाजपा उम्मीदवारों को बड़ा नुकसान होना तो तय है।और इस नुकसान की भरपाई जल्दी से भाजपा उम्मीदवार नही कर पाएंगे,मुसलमान वोट का जो रुझान अभी तक नज़र आ रहा है वो ज़्यादातर गठबंधन प्रत्याशी के फ़ेवर में है‌। हालांकि बसपा प्रत्याशी दिन रात मुसलमान मतदाताओं पर मेहनत कर रहे हैं। मगर देवबंद क्षेत्र के अलावा ज़िले भर में उनको मतदाता शक्ल से भी नही पहचानते, अभी सहारनपुर की जामा मस्जिद के बाहर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुवा था जिसमे बसपा प्रत्याशी माजिद अली मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपना नाम बताकर अपना परिचय बता रहे थे,ये हाल तब है जब माजिद अली ज़िला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं।उसके बावजूद उनको मतदाताओं को अपना परिचय खुद ही देना पड़ रहा है,इसमें कोई शक नही कि इमरान मसूद का ज़िले भर में बड़ा जनाधार है।और मुस्लिम समाज इमरान को अपना नेता स्वीकार भी करता है, इमरान ज़िले के नेता नही बल्कि वेस्ट यूपी के कद्दावर नेताओं में अपना मुक़ाम रखते हैं‌।और ऐसे हालात में लगता बिल्कुल नही की मुसलमान मतदाता इधर उधर का रूख़ करेंगे, हालांकि इमरान मसूद के पास अपना हिन्दू वोट भी है मगर वो तादाद में बहुत ज़्यादा नही है,वही बात अगर केराना सीट के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी की करें तो गत चुनाव भांति इस बार भी हिंदू समुदाय के लोगों में प्रदीप चौधरी का विरोध हो रहा है लेकिन धीरे-धीरे मोदी लहर के चलते चुनाव की तिथि तक यह समीकरण अक्सर पलट जाता है लोग विरोध करने के बाद भी वोट मोदी योगी को ध्यान में रखते हुए वही करते हैं।बहरहाल चुनाव हर दिन हर पल बदलता रहता है।पूर्व चुनाव की भांति इस बार भी मतदाता नहीं खोल रहा अपने पत्ते इसलिए समय से पहले कोई भी सटीक भविष्यवाणी नही कर सकता, मगर ये तय है कि सहारनपुर में अबकी बार भाजपा को गठबंधन प्रत्याशी से ज़बरदस्त वाली टक्कर मिल रही है और आने वाली 19 अप्रैल को होने वाले मतदान में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो अभी भविष्य के गर्भ में ही है l

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