रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
सुल्तानपुर- सुजान साहित्य एवं समाज कल्याण समिति जरई कलां द्वारा फागोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में तीन फगुवा की टीमों द्वारा चौताल,डेढ़ ताल,उलार और धमार गीतों का गायन प्रस्तुत किया गया।फगुआ गायन टीमों के साथ कुल सात साहित्यकारों को साहित्य पुरोधा,अवधी गौरव,अनागत साहित्य मार्तंड सम्मान से सम्मानित किया गया।इस मौके पर आयोजक राम दुलारे सिंह सुजान की पुस्तक होली के रंग अवधी के संग का विमोचन किया गया।पुस्तक विमोचन के बाद सरस् कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।जिसका शुभारंभ अवधी रचनाकार राम बहादुर मिश्र की वाणी वंदना से हुआ।इसके बाद लखनऊ से आई कवियत्री कुसुम वर्मा का गीत,बेटी तो धान कै फसल,बोयो कहूँ रोप्यउ कहूँ कल।पढा तो पूरा पांडाल तालियों से गूंज उठा।बाराबंकी से आये कवि सोभित यादव की ओज पूर्ण कविता,देश की सीमाओं के रक्षक कवच जो हैं। सरहदों पर खड़े उन जवानों को नमन है।पढ़कर तालियां बटोरी।पूर्व डी एस पी डॉ सत्या सिंह की गीत,एक बाबू जी जो घर को जमाने मे लगे थे।
इज्जत जमीर के लिए जागीर बेंच दी।आये न आंच हमपे शमशीर खींच ली।हम चैन की वंशी जब बजा रहे थे।तब बाबू जी बाहर कमाने में लगे थे।पढ़कर भाव विभोर किया।हास्य कवि श्री कृष्ण द्विवेदी अज्ञान की कविता,राम राज्य लाना कोई खेल व तमाशा नहीं।राम राज्य लाना है तो राम बन जाइये।श्रोताओं द्वारा सराही गयी।इंद्र जीत अर्चक ने राम गीत,चारिउ वरिया है गुहार न्यारी राम नगरी ।
घर घर मंदिर स्वर्गद्वार,न्यारी राम नगरी।पढ़कर वाहवाही बटोरी।युवा कवि विकास चौरसिया का चैता गीत,पिया बिनु लागे नाही मनवा हो रामा,लागे नाही मनवा।पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये।कवि कर्म राज शर्मा तुकांत का राम गीत,मंगल के गीत आज गाओ हमारे राम राजा बने हैं।सुनकर पूरा पांडाल भक्तिमय हो गया।आयोजक राम दुलारे सिंह सुजान ने अपने काव्यपाठ के साथ लोंगों के प्रति आभार व्यक्त किया।इसके अलावा गुरु प्रसाद त्रिपाठी घनश्याम,सत्येंद्र सजल,भवानी प्रसाद मिश्र विभोर,सिद्धा दास प्रेमी,समर जीत सिंह काग ने भी काव्यपाठ किया।पूरे कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि अल्हड़ गोंडवी ने किया।इस मौके पर पूर्व प्रबंधक समाजसेवी रवींद्र प्रताप सिंह,राज प्रताप सिंह,राजा सिंह,एडवोकेट राकेश सिंह बबलू,शिव सेवक सिंह,सुधा सिंह,कंचन सिंह सहित तमाम श्रोता गण मौजूद रहे।