दुधारू पशुओं में रहस्यमयी बीमारी से दहशत : ग्रेटर नोएडा में 60 की मौत, आर्थिक संकट में घिरे पशुपालक

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश के दादरी के कुड़ीखेड़ा गांव में हाल ही में पशुओं में एक गंभीर बीमारी के फैलने की खबरें सामने आईं हैं। इस जानलेवा बीमारी से पशुओं की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब तक करीब 60 से अधिक पशुओं की मौत हो चुकी है। 150 से अधिक पशु बीमार हैं। गांव के लोग प्राइवेट डॉक्टरों को बुलाकर इलाज करा रहे हैं। लेकिन, दवाइयों का कोई असर नहीं हो रहा है। गांव के लोगों का आरोप है कि लगातार शिकायत करने के बाद भी जिला प्रशासन के अधिकारियों ने गांव के लोगों की खबर नहीं ली है। सोमवार को डॉक्टरों की एक टीम आई और पशुओं को चेक करने के बाद वापस चली गई। अभी तक पशुओं के वैक्सीनेशन और उपचार के लिए कैंप नहीं लगाए गए हैं।

आर्थिक संकट में घिरे कई परिवार

दादरी एरिया के कुड़ी खेड़ा गांव में सैकड़ों किसान पशुपालन से अपना गुजर बसर करते हैं। गांव के रहने वाले सुभाष चंद ने बताया कि 10 दिनों में रहस्यमयी बीमारी से 60 पशुओं की मौत हो चुकी है। पशुओं की बॉडी तेजी से गर्म होता है और फिर ठंडा हो जाता है। उसके बाद मौत हो जाती है। अब तक सुभाष, राम सिंह, अजब सिंह, सेलक राम, फिरे राम, मुनिपाल, विनोद समेत ग्रामीणों के करीब 60 पशुओं की मौत हो गई है। रहस्यमयी बीमारी फैलने से ग्रामीण डरे हुए हैं। उनके लाखों रुपये के नुकसान के साथ दूध उत्पादन भी बंद हो रहा है। कई परिवारों पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। कई दिनों से लगातार जिला प्रशासन के अधिकारियों से रहस्यमय बीमारी की शिकायत की जा रही थी। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। रविवार को बादलपुर पशु अस्पताल के डॉक्टर ने गांव में पशुओं की जांच की और दवाएं दीं, लेकिन कोई कैंप अभी तक नहीं लगाया गया है।

मृत पशुओं को जमीन में दबाने के इंतजाम की मांग

मौत के बाद पशुओं को जमीन में दबाने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। मजबूरन ग्रामीण मृत पशुओं को जंगल में डालकर आ रहे हैं। इससे ग्रामीणों में संक्रमण फैल सकता है। उनकी मांग है कि मृत पशुओं को उठाने का जिला प्रशासन के अधिकारी इंतजाम कराएं। जिससे आसपास संक्रमण न फैले। पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. सचिन कुमार गोयल ने कहा कि बीमार पशुओं का इलाज किया जा रहा है। मौसम बदलने के कारण वायरल इन्फेक्शन फैला है, जिससे पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। बीमारी को रोकने के लिए 15 मार्च से वैक्सीन लगाने का काम शुरू कर दिया है।

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