रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
जयपुर: उदयपुर। सोलह साल पहले लापता हुए लाला को अचानक अपने बीच देखकर पूरा गांव स्तब्ध रह गया। हर कोई अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पाया। वहीं, अपने बेटे को देख उसके माता-पिता की खुशी का ठिकाना न रहा। बेटे को गले लगाया और फूट-फूटकर रोने लगे।
हम जिक्र कर रहे हैं मावली तहसील क्षेत्र की लोपड़ा ग्राम पंचायत के सवानिया गांव निवासी रमेशचंद्र (40) उर्फ लाला का, जो वर्ष 2007 में लापता हो गया था। उस समय लाला मानसिक रूप से अस्वस्थ था। महाराष्ट्र की संस्था श्रद्धा फाउंडेशन ने उसकी काउंसलिंग कर उसे अपने गांव पहुंचाया। इतने समय तक वह अपने घर का सही पता नहीं बता पा रहा था।
हाल में पता सही बताने पर फाउंडेशन ने उसे सही सलामत घर पहुंचाया। फाउंडेशन के काउंसलर रमेश कुमावत ने लाला गुजरात के रास्ते पर भटक रहा था। जिसे वहां की एक संस्था के सहयोग से संस्था में भर्ती करवाया। इसके बाद घर सहित पूरे गांव में हर्ष है। लाला अपने परिवार का इकलौता पुत्र है। उसके एक बड़ी व एक छोटी बहन है।
शादी में खो गई थी परिवार की खुशियां:
लाला की मां सीता श्रीमाली ने बताया कि वे वर्ष 2007 में नाथद्वारा में मौसी के बेटे की शादी में गए थे। तब लाला की उम्र 24 साल थी। वहां से लाला अचानक लापता हो गया था। जिसे काफी ढूंढा, लेकिन पता नहीं चला। मावली थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई, इसके बावजूद इतने साल तक उसकी कोई खबर नहीं थी। सीता ने बताया कि इतने साल बीतने के बाद मन में डर सा बैठ गया था। बीच में कोरोना ने दिल को झकझोर दिया। लेकिन मुझे विश्वास था कि मेरा बेटा वापस जरूर आएगा।