अच्छी पहल! सड़क दुर्घटना के पीड़ितों का मुफ्त में होगा 1.50 लाख का इलाज, जानें डिटेल्स

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राजेश कुमार यादव head editer sctvnews*

देश में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के अनुसार देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में घायल हुए लोगों को मुफ्त चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।

भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। लापरवाही से गाड़ी चलाने, यातायात नियमों के उल्लंघन, गाड़ी चलाने के बारे में जानकारी की कमी के कारण जहां हर दिन सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है, वहीं हजारों लोग घायल हो जाते हैं।


इनमें से कुछ घायलों को समय पर इलाज न मिलने के कारण अपनी जान भी गंवा देते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने सड़क सुरक्षा और लोगों की जान को ध्यान में रखते हुए अहम फैसला लिया है।


*कैशलेस इलाज :* सरकार ने सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सुरक्षा के लिए एक नई योजना शुरू की गई है। इससे पीड़ितों को त्वरित चिकित्सा सुविधा मिलेगी। सरकार इसे कैशलेस ट्रीटमेंट के तौर पर लेकर आई है। इसकी माध्यम से घायलों को बिना एक भी रुपया खर्च किए इलाज मिल सकेगा।


इस योजना के तहत सड़क हादसे के पीड़ित को 1.5 लाख रुपए तक का कैशलेस इलाज दिया जाएगा। फिलहाल ये स्कीम अभी पायलट प्रोग्राम के तौर पर केवल चंडीगढ़ में लागू की गई है।


इससे आर्थिक रुप से असमर्थ लोगों को आपातकालीन इलाज कराने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत भारत के किसी भी नागरिक को दुर्घटना की स्थिति में तुरंत किसी नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा और उसे 1.5 लाख रुपए का कैशलेस इलाज मिलेगा।


पीड़ित को इसके तहत 7 दिनों तक कैशलेस इलाज दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि अस्पताल संबंधित व्यक्ति को दिए गए इलाज के दस्तावेज सीधे सरकार को सौंप सकते हैं और इलाज के पैसे का दावा कर सकती हैं।


*पायलट प्रोजेक्ट शुरु:* केंद्र की ओर से यह योजना अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ही शुरू की गई है। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चंडीगढ़ में लागू किया गया है। अगर ये ट्रायल सफल रहा तो क्रेंद सरकार पूरे देश में इसके विस्तारीकरण पर काम करेगी।


अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो देशभर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों की संख्या को कम किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में देशभर में कुल 4.61 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।


इन हादसों में 1.68 लाख लोगों की जान चली गई और 4.43 लाख लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। केंद्र को उम्मीद है कि अगर यह योजना लागू होती है तो दुर्घटना के शिकार लोगों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिलेगी और उनकी जान बचाई जा सकेगी।

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