कौन थे Srila Prabhupada, जिन्होंने की थी ISKCON की शुरुआत, आध्यात्मिक गुरु के सम्मान में PM Modi जारी करेंगे स्मारक टिकट और सिक्का

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रिपोर्ट राजेश कुमार यादव

नई दिल्ली

ध्यात्मिक गुरु श्रील प्रभुपाद की 150वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम में विश्व वैष्णव सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. इस दौरान पीएम मोदी आध्यात्मिक गुरु के सम्मान में एक स्मारक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे. यह सम्मेलन 3 दिन तक चलेगा. इसका मकसद दुनिया में चैतन्य महाप्रभु के उपदेशों को आगे बढ़ाना है. चलिए आपको आचार्य श्रील प्रभुपाद के बारे में बताते हैं.

श्रील प्रभुपाद ने की थी इस्कॉन की स्थापना-

आचार्य श्रील प्रभुपाद गौड़ीय मिशन के संस्थापक थे. जिन्होंने वैष्णव आस्था का प्रचार-प्रसार किया. यह मिशन चैतन्य प्रभु की शिक्षाओं को दुनियाभर में फैला रहा है. श्रील प्रभुपाद ने भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को लोगों तक पहुंचाने के लिए इस्कॉन की स्थापना की थी. उन्होंने साल 1966 में इस्कॉन की स्थापना की थी. न्यूयॉर्क में ही पहला इस्कॉन मंदिर बना था. हरे कृष्णा आंदोलन श्रील प्रभुपाद की ही देन है. इस्कॉन के भक्त मंत्र के तौर पर भगवान श्रीकृष्ण के नाम का जाप करते हैं. बताया जाता है कि दुनियाभर में इस्कॉन के 500 से ज्यादा केंद्र हैं.

कौन थे श्रील प्रभुपाद-

आचार्य श्रील प्रभुपाद का जन्म एक सितंबर 1896 को कोलकाता के एक हिंदू परिवार में अभय चरण डे के तौर हुआ था. श्रील प्रभुपाद जब युवा थे तो उन्होंने देश की आजादी के लिए महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लिया था. साल 1922 में उनकी मुलाकात धार्मिक विद्वान श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती से हुई. साल 1933 में अभय चरण भक्तिसिद्धांत सरस्वती के शिष्य बन गए. उनको दुनिया में स्वामी प्रभुपाद और श्रील प्रभुपाद के नाम से जाना गया.

17 सितंबर साल 1965 को 69 साल की उम्र में प्रभुपाद एक मालवाहक जहाज से न्यूयॉर्क शहर पहुंचे. इस सफर के दौरान जहाज पर प्रभुपाद को दो बार दिल का दौरा भी पड़ा. उन्होंने अमेरिका में कृष्ण की शिक्षाओं को प्रसार करना शुरू किया. 11 जुलाई 1966 को उन्होंने आधिकारिक तौर न्यूयॉर्क में अपना संगठन रजिस्टर कराया और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की स्थापना की.

14 बार की दुनिया की परिक्रमा-

इस्कॉन की स्थापना के बाद श्रील प्रभुपाद ने लगातार दुनिया की यात्रा की. उन्होंने 14 बार दुनिया की परिक्रमा की और 6 महाद्वीपों में हजारों लोगों तक भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का प्रसार किया. उन्होंने दुनियाभर में इस्कॉन की स्थापना की. उन्होंने दुनिया का सबसे बड़ा शाकाहारी भोजन राहत कार्यक्रम चलाया. इस दौरान श्रील प्रभुपाद कई बार भारत भी आए. उन्होंने भारत में भी दर्जनों मंदिर बनवाया. 81 साल की उम्र 14 नवंबर 1977 को वृंदावन में श्रील प्रभुपाद का निधन हो गया.

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